Hazaribagh: आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा मामले में पुलिस अपने ही इन्फॉर्मर के झांसे में आ गई. पुलिस ने इन्फॉर्मर की बात को सच मान कर राजेश मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में हुए खुलासे से पता चलता है कि पुलिस की जिस तेजी की हम उम्मीद करते हैं, उसी तेजी में पुलिस से यह भूल हो गई.
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क्या है पूरा मामला
असल में रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मी और जमीन माफिया आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा द्वारा लगातार जमीन और डीड संबंधी आरटीआई मांगने से परेशान थे. हाल ही में राजेश मिश्रा ने एक आरटीआई लगाई थी. सूत्र के मुताबिक उस आरटीआई को देने का फैसला हो गया था. कागजात बनकर तैयार थे लेकिन ऐन मौके पर उस कागजात को रजिस्ट्री ऑफिस के बड़े अधिकारी के कहने पर रोक दिया गया.
राजेश मिश्रा रजिस्ट्री ऑफिस पहुंचे और आरटीआई के लिए दबाव बनाने लगे तब इस भूमाफिया की टीम ने एक प्लान किया जिसमें तय हुआ कि राजेश मिश्रा की गाड़ी की डिक्की में मादक पदार्थ रख कर उसे फंसा दिया जाए.
रजिस्ट्री ऑफिस के बड़े अधिकारी की भूमिका है संदिग्ध
रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मी आनंद ने डीड राइटर के साथ मिलकर यह योजना बनायी थी. उन्होंने सरफराज नाम के व्यक्ति से मादक पदार्थ मंगवाया, लेकिन इसमें महत्वपूर्ण भूमिका बंटी उर्फ मेराज हुसैन की थी. बंटी पुलिस के लिए मुखबिरी भी करता था इसलिए उसे इस काम के लिए चुना गया था. इससे यह भी फायदा था कि जब वे इसकी जानकारी पुलिस को देंगे तब किसी को शक ना हो. ऐसा कर के राजेश मिश्रा को आसानी से फंसाया लिया गया और पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया.
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पहले भी जमीन के कारोबार में संलिप्त रहा है बंटी
बंटी पहले भी जमीन के कारोबार में संलिप्त रहा है और भूमि माफियाओं के साथ उसकी अच्छी बनती है. घटना को अंजाम देने के पहले राजेश मिश्रा की रेकी भी होती रही. घटना के दिन राजेश मिश्रा को उनकी मोटरसाइकिल से दूर करने के लिए आदित्य सोनी को उन्हें गुमराह करने के लिए भेजा गया. आदित्य सोनी ने राजेश मिश्रा को बातचीत में फंसा कर उनकी मोटरसाइकिल से दूर कर दिया. इसी बीच उनके गाड़ी की डिक्की में मादक पदार्थ डाल दिया गया. फिर बंटी और मेराज हुसैन ने पुलिस को इन्फॉर्म किया और मोटरसाइकिल का नंबर भी दे दिया. साथ ही यह भी कहा कि एक गाड़ी में कोई अफीम बेचने के लिए जा रहा है.
बड़े अधिकारियों को नहीं मिली थी घटना की जानकारी
उसके बाद पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोग्यम अस्पताल के सामने राजेश मिश्रा को पकड़ लिया. सूचना के मुताबिक सारी बातें सही होता देख पुलिस भी गच्चा खा गई. इस दौरान बड़कागांव में पुलिस के किसी भी बड़े अधिकारियों को इस घटना का जानकारी नहीं मिल पाई थी.
आनन-फानन में राकेश मिश्रा को जेल भेज दिया गया. बाद में जब पुलिस अधीक्षक कार्तिक एस को इस मामले में षड्यंत्र की बात पता चली, तो पुलिस अधीक्षक ने पुनः इस पूरे मामले की जांच पड़ताल की और उस नंबर को खोजा गया जिससे पुलिस को सूचना मिली थी. फिर थोड़ी सी दबिश के बाद सारे मामले एक-एक कर खुलते चले गए. इस पूरे मामले में पुलिस के अपने ही एक साथी के विश्वासघाती होने का खामियाजा पुलिस को भुगतना पड़ा. साथ ही पुलिस की खासी बदनामी भी हुई. हालांकि 48 घंटे में पुलिस ने जिस तरह से भूल सुधार किया है उससे विभाग को बड़ी राहत मिली है.
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