LagatarDesk : रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार 9वें दिन भी रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है. जिसका असर दुनियाभर के करेंसी में कमजोरी देखने को मिल रहा है. भारतीय करेंसी रुपये भी इससे अछूता नहीं है. रुपये में भी कमजोरी देखने को मिल रही है. गुरुवार को यह 15 पैसे टूटकर 75.95 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. इसको देखते हुए आरबीआई ने बड़ा फैसला लिया है. रुपये की बिगड़ती सेहत को सुधारने के लिए आरबीआई ने अपने विदेशी मुद्रा कोष से करीब 2 अरब डॉलर बेच दिया है.
बाजार में नकदी कम करने के लिए आरबीआई डॉलर बेचती
बता दें कि वैश्विक स्तर पर तनाव और कच्चे तेल के दाम बढ़ने से भारतीय करेंसी पर असर पड़ रहा है. इसको देखते हुए आरबीआई ने मुद्रा कोष से डॉलर की बिक्री है. ताकि कच्चा तेल आयात करने वाली कंपनियों पर इसका असर कम हो सके. जब आरबीआई डॉलर बेचने का काम करती है तो वो रुपया खरीदती है. जिससे बाजार में उपलब्ध ज्यादा नगदी कम हो जाता है. इससे बढ़ती कीमतों पर नकेल कसी जा सकती है.
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कच्चे तेल के दाम 116 रुपये प्रति बैरल के पार पहुंचा
मालूम हो कि अंरतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 116 डॉलर प्रति बैरल हो गया है. जो पिछले 9 साल का सबसे उच्चतम स्तर है. कच्चे तेल के दाम बढ़ने के कारण पूरी दुनिया में महंगाई बढ़ गयी है. 2013 के बाद पहली बार कच्चे तेल की कीमत में 116.3 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है. डब्लूटीआई की बात करें तो इसकी कीमत 113.2 डॉलर प्रति बैरल हो गयी है.
डॉलर महंगा होने से क्या होता है असर
- भारत में पहले से ही खाने का तेल महंगा है. भारत में तेल भारत से आयात किया जाता है. ऐसे में अगर डॉलर महंगा होगा तो खाने के तेल को आयात करना और महंगा हो जायेगा. जिससे तेल के दाम और बढ़ेंगे.
- भारत के बहुत सारे बच्चे विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं. अगर डॉलर महंगा हो जायेगा तो विदशों में पढ़ रहे छात्रों की पढ़ाई भी महंगी हो जायेगी. क्योंकि ज्यादा रुपये देकर लोगों को डॉलर खरीदना होगा.
- भारत दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा ईंधन खपत करने वाला देश है. भारत में 80 फीसदी तेल आयात किया जाता है. सरकारी तेल कंपनियां कच्चा तेल डॉलर में खरीदती है. अगर डॉलर महंगा हो गया तो कंपनियों को ज्यादा रुपये देकर डॉलर लेना होगा. इससे आयात महंगा होगा. जिसके कारण पेट्रोल-डीजल महंगा हो जायेगा.