- सरयू राय ने कहा ,’राईस मिलों से नदी का पानी हो रहा प्रदूषित.
- दामोदर और स्वर्णरेखा नदियों को प्रदूषण मुक्त समीक्षा अभियान का शुभांरभ.
- उद्गम स्थल रानीचुंआ स्थान को सौन्दर्यीकरण और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग.
Ranchi : झारखंड की प्रमुख नदियों में से एक स्वर्णरेखा और दामोदर को प्रदूषण मुक्त का काम शुरू हो गया है. इसका बीड़ा उठाया है कि जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने. रविवार को सरयू राय के नेतृत्व में स्वर्णरेखा नदी प्रदूषण समीक्षा अभियान का शुभांरभ नदी के उदगम स्थल, नगड़ी स्थित ‘रानीचुँआ’ से किया गया. इससे पहले स्वर्णरेखा नदी का पूजन किया गया. नदी पूजन में अभियान दल के सदस्य सहित नगड़ी के आसपास रहने वाले लोग उपस्थित थे. सरयू राय ने बताया कि उदगम स्थल से मात्र कुछ दूरी पर कई राईस मिले बने हुए है, जिसका दूषित जल पास के ही छोटे-छोटे कच्चे गडढ़ों में जमा किया जाता है, जो रिस-रिस कर भगर्भ जल को दूषित कर रहा है. रांची की खबरों के लिए यहां क्लिक करें…
प्रदूषण के प्रभाव से पानी अत्यधिक काला हो गया है. नदी प्रदूषित होने से जैव विविधता समाप्त हो रही है. जलीय जीव-जन्तुओं के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो गया है. सरयू ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि रानीचुँआ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाय. इस स्थान के सौन्दर्यीकरण और वृक्षारोपण की भी आवश्यकता है. सरयू ने कहा कि इस विषय पर उन्होंने पिछले दिनों पर्यटन सचिव से बात भी की है. पर्यटन सचिव ने इस पर सकारात्मक रूख अपनाया है.
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रांची सहित जमशेदपुर में औद्योगिक एवं नगरीय प्रदूषण की समस्या काफी गंभीर
उन्होंने कहा कि रांची सहित जमशेदपुर में औद्योगिक एवं नगरीय प्रदूषण की समस्या काफी गंभीर हो गई है. औद्योगिक संस्थान अपने प्रदूषित पानी को सीधे नदी में गिरा देते हैं. इसी तरह घर का गंदा पानी सीधे नदी में गिर रहा है. इससे नदी का जल अत्यधिक प्रदूषित हो गया है. स्वर्णरेखा नदी प्रदूषण समीक्षा अभियान के संयोजक डॉ. एमके जमुआर ने कहा कि रानीचुंआ के पास स्थित पांडु गांव के ग्रामीणों से नदी की वास्तविक स्थिति का पता चला. जानकारी मिली कि नदी के किनारे अवस्थित चावल मिलों के कारण प्रदूषण की समस्या भयावह हो गयी है.
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नदी के पास के राईस मिलों में नहीं है पर्यावरण प्रदूषण को रोकने की व्यवस्था
ग्रामीणों ने बताया कि चावल मिलों की स्थापना के पहले गांवों में मच्छर नहीं पाये जाते थे, लेकिन अब मच्छर बहुत अधिक है. जानकारी मिले पर अभियान दल के सभी सदस्यों ने स्थानीय ग्रामीणों को साथ लेकर वास्तविक स्थिति की जानकारी ली. सभी पास के ‘सारवी राईस मिल गये, जो गांव से 500 मीटर की दूरी पर है. मिल में पर्यावरण प्रदूषण को रोकने की व्यवस्था नहीं के बराबर है. धान के प्रसंस्करण के बाद निकली हुई पानी को छोटे-छोटे कच्चे गडढ़ों में जमा किया जा रहा है, जिससे भूमिगत जल प्रदूषित हो रहा है. धान की भूसे को हवा में फैलने से रोकने का कोई उपाय नहीं है.
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