NewDelhi : ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर दिखाई जा रही वेब सीरीज को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने कहा कि सरकार ने हाल में नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम जैसे प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने के लिए जो नयी गाइडलाइंस बनाई हैं, वे पूरी तरह बेअसर साबित हो रही हैं, क्योंकि इनमें अभियोजन का विकल्प नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कानून बनाने की बात कही.
SC ने कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म के कंटेंट को नियंत्रित रखने के लिए सिर्फ गाइडलाइंस बनाने की जगह एक कानून तैयार किया जाना चाहिए. इसी के तहत कंटेंट के मानक तय किये जाने चाहिए.
इती क्रम में कोर्ट ने तांडव वेब सीरीज मामले में अमेजन प्राइम वीडियो की अपर्णा पुरोहित की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. हालांकि, उन्हें मामले की जांच में सहयोग करने के निर्देश दिये.
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पीठ ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता इस संबंध में जानकारी मांगी थी
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले कहा था कि ओवर दी टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म पर कई बार किसी न किसी तरह की अश्लील सामग्री परोसी जाती है. इस तरह के कार्यक्रमों पर नजर रखने के लिए एक तंत्र होना चाहिए. न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता इस संबंध में जानकारी मांगी थी.
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OTT उद्योग मंत्रालय के साथ भागीदारी करेगा
सुप्रीम कोर्ट में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर सुनवाई के दौरान ही डिजिटल मीडिया के लिए नये नियमों को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने उद्योग के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी. यहां उन्होंने कहा था कि दर्शकों के लिए मंच का अनुभव बेहतर बनाने की खातिर ओटीटी उद्योग, मंत्रालय के साथ भागीदारी करेगा.
साथ ही उन्होंने कहा कि दिशानिर्देश किसी तरह के सेंसरशिप के बजाए विषय वस्तु का स्व-वर्गीकरण करने पर केंद्रित है. नेटफ्लिक्स, ऐमेजॉन प्राइम, हॉटस्टार और अल्ट बालाजी जैसे ओटीटी मंचों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद जावडेकर ने कहा कि उन्होंने सरकार के नये दिशानिर्देशों का स्वागत किया है.
जान लें कि सरकार ने 25 फरवरी को ओटीटी मंचों एवं डिजिटल समाचार मीडिया के लिए नये नियमों एवं दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया था, जिसके तहत उन्हें अपना ब्योरा सार्वजनिक करना होगा और शिकायत निवारण व्यवस्था बनानी होगी.
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