Amit singh
Ranchi: पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में करोडों रूपये के चापानल घोटाले हुए हैं. विभाग ने घोटाले की जांच का आदेश दिया है. जांच का जिम्मा फिल्ड में पोस्टेड इंजीनियरों को सौंपा गया है. इस जांच के आदेश पर सवाल उठ रहे हैं. सवाल उठने की दो वजहें हैं.
– पहली वजह – तीन साल पहले मुख्यमंत्री सचिवालय ने विभाग को पत्र लिख कर मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से कराने को लेकर मंतव्य मांगा था. विभाग के अधिकारी चुप रहे.
– दूसरी वजह – जिन अभियंताओं पर घोटाले का आरोप है, उन्हीं को जांच का जिम्मा दे दिया गया है.
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इन तथ्यों से समझें जरुरी बातें
24 अप्रैल 2017 : मुख्यमंत्री सचिवालय को पलामू, गढ़वा, लातेहार और भवनाथपुर से चापानल लगाने के नाम पर हुए घोटाले की शिकायत मिली थी. शिकायत की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो(एसीबी) से कराने का आग्रह किया गया था.
27 अप्रैल 2017 : सीएम सचिवालय ने आरोपों की जांच एसीबी से कराने की कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव कार्यालय से कहा.
04 मई 2017 : मुख्य सचिव कार्यायल ने आगे की कार्रवाई के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से मंतव्य मांगा.
05 जनवरी 2021: करीब तीन साल तक विभाग के अधिकारी चुप रहें. अब विभाग ने मंतव्य देने के बजाय मामले की जांच का जिम्मा मेदिनीनगर के अधीक्षण अभियंता को पत्र (पत्रांक-4/ 01-1012/ 2017-23, 5-01- 21) सौंप दिया.
मेदिनीनगर अधीक्षण अभियंता ने शुरू करायी जांच
पेयजल विभाग से पत्र मिलने के बाद मेदिनीनगर अंचल के अधीक्षण अभियंता सदानंद मंडल ने आरोपों की जांच शुरू कर दी है. सदानंद मंडल ने गढ़वा, पलामू, लातेहार और मेदिनीनगर के कार्यपालक अभियंता से चापानल निर्माण में हुए गड़बड़ियों को लेकर जांच रिपोर्ट देने को कहा है. कार्यपालक अभियंता चापानल लगाने में बरती गयी गड़बडियों की जानकारी जुटा रहे हैं.
हैरत वाली बात यह है कि जानकारी जुटाने वाले ज्यादातर इंजीनियरों ने ही अपनी देखरेख में चापानल लगाने का काम कराया था. आरोप है कि वर्ष 2012 से 2017 के बीच जो भी चापानल पेयजल विभाग ने लगाया है. एक-एक चापानल के एवज में 2000 रुपए तक के कमीशन की वसूली इंजीनियरों ने ही किया है.
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इन इंजीनियरों पर भी हैं गड़बड़ी के आरोप
– तत्कालीन मुख्य अभियंता रमेश कुमार
– तत्कालीन अधीक्षण अभियंता नवरंग सिंह
– कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार सिंह
– कार्यपालक अभियंता शशि शेखर सिंह
– कार्यपालक अभियंता अजय कुमार सिंह
जांच के लिए पुलिस की एजेंसी ही सक्षम
Lagatar news से बातचीत में मेदिनीनगर के अधीक्षण अभियंता सदानंद मंडल ने बताया कि विस्तृत जांच पुलिस की एजेंसी ही कर सकती है. क्योंकि चानपाल निर्माण में गड़बड़ी के साथ कमीशन वसूलने, सामग्री की खरीदारी में गड़बड़ी सहित कई आरोप है.
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जिसकी जांच फिल्ड में तैनात विभागीय इंजीनियर तकनीकी वजहों से नहीं कर सकते हैं.
विभाग ने जांच रिपोर्ट मांगा है. कार्यपालक अभियंता जो जांच रिपोर्ट देंगे. हम उसे कंपाइल करके पेयजल विभाग मुख्यालय को भेज देंगे.
चापानल निर्माण में दो स्तर पर हुई है बड़ी गड़बड़ी
सीएम सचिवालय से की गयी शिकायत में बताया गया है कि चापानल लगाने में दो स्तर पर सबसे ज्यादा गड़बड़ी की गयी है. डील्ड चापानल लगाने में मैन्यूफैक्चरिंग और कोनसाईर्नी स्तर पर अनियमितता बरती गयी है. चापानल में लगने वाले सामग्रियों को प्रमंडलीय भंडार में जमा करना था. पंजी स्टॉक रिपोर्ट तैयार करना था. उसके बाद सामग्रियों को निर्गत करना था. मगर ऐसा नहीं किया गया.
ऐसे बरती गयी अनियमितता
– भंडारपाल या भंडार प्रभारी कनीय अभियंता की ओर से दो स्तरों पर जांच रिपोर्ट तैयार करना था. सामग्रियों से संबंधित जांच रिपोर्ट तैयार कर प्रमंडल कार्यालय को सूचित करना था. मगर भंडारपाल स्तर से ऐसी कोई भी रिपोर्ट तैयार कर प्रमंडल मुख्यालय को नहीं भेजा गया.
– प्रमंडलीय भंडार में जमा संबंधित ठेकेदार के सामानों को आवंटित करना था. आवंटित कार्य स्थल पर सामग्री भेजे जाने से संबंधित ब्योरा तैयार करना था. कितनी मात्रा में सामान आवंटित हुए, कितना सामान लगा, इसका विवरण छुपाया गया.
– चापानल लगाने के लिए सामान कहां से खरीदे गये, इसका भी पता नहीं है. खरीदारी से संबंधित चालान पेयजल कार्यालय में प्रस्तुत नहीं किया गया. आशंका है घटिया सामान लगाये गये.
– चापानल बोर की गहराई एवं व्यास में भी गड़बड़ी की शिकायत है. जिसका स्थल निरीक्षण एवं मापी कार्यपालक अभियंता स्तर से नहीं किया गया है. गुप्त रूप से कमीशन के लिए इंजीनियरों ने आंख बंद कर बिल पास कर दिया. जो बड़ी अनियमितता को दर्शाता है.
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