Ranchi: बिरसा मुंडा एयरपोर्ट, रांची के विस्तार के लिए 2012 में हिनू के हेथू मौजा में जमीन का अधिग्रहण हुआ था. भू-अर्जन विभाग द्वारा 13 लोगों से उनकी जमीन ली गई थी. जिसमें से 12 लोगों को मुआवजा राशि का भुगतान हुआ. मगर एक व्यक्ति दिनेश कुमार को मुआवजा राशि नहीं मिला. अब दिनेश पिछले आठ साल से मुआवजा राशि के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहे है. अलग-अलग टेबल पर अपनी शिकायत की फाइल लेकर दौड रहे हैं.
दिनेश कुमार को परेशान और हताश देख, उनकी बेटी रिया वर्मन ने आहत होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर, पिता को न्याय दिलाने की गुहार लगाई. वहीं रिया ने कहा है कि पापा को भूमि मुआवजा राशि जल्द, बिना घूस की रकम दिए, भुगतान नहीं किया जाता है, तो परिवार के सभी व्यक्तियों को इच्छा मृत्यु के लिए दिनांक, समय एवं स्थान देने की कृपा करें.
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रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के लिए लिए 13 लोगों से जमीन ली गई. सबकी जमीन पर प्रो-वेट केस चल रहा है. लेकिन इनमें से 12 लोगों को जमीन के बदले मुआवजा दिला दिया गया. सिवाय एक दिनेश प्रसाद के, क्योंकि उन्होंने भू-अर्जन अधिकारियों और कर्मचारियों को 15 लाख की रिश्वत नहीं दी. रिया ने पहले भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था.
रिया ने पत्र में लिखा : अफसरों को नहीं दिए घूस के 15 लाख, इसलिए मुआवजा नहीं मिला
मेरे पापा आठ साल से मुआवजा राशि के लिए भटक रहे हैं. जमीन चली गई, घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. पापा बच्चों की फीस नहीं जमा कर पा रहे हैं. उसने पत्र में बताया कि बहुत मुश्किल से घर चल रहा है. पापा अलग-अलग विभागों के चक्कर लगाते हुए थक चुके हैं. आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना से परेशान हैं. हमलोगों के सामने आत्मदाह करने के सिवा और कोई रास्ता नहीं है.
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मेरे पापा की जमीन एयरपोर्ट एथॉरिटी द्वारा अधिग्रहित की गई, मगर जमीन के एवज में मुआवजा नहीं मिला. क्योंकि इस जमीन पर मालिकाना हक बदलने का मामला (प्रो-वेट केस) चल रहा है. पापा ने 19.04.2004 को 26 कट्ठा जमीन खरीदी थी, उस समय प्रो-वेट केस की जानकारी नहीं थी. जमीन लेने के बाद से अबतक हमलोग खेती करते आ रहे हैं. जमीन को लेकर कोई विवाद नहीं है. बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के नजदीक मौजा (थाना नं-298, खाता नं-30, प्लॉट नं-1195,1202) में है. खाता नंबर-30 पर प्रो-वेट केस चल रहा है.
एक कर्मचारी पर कार्रवाई कर मामले को दबाने का किया गया प्रयास
रिया ने बताया है कि खाता नंबर 30 में कुल 13 लोगों की जमीन है. जिसमें 12 जमीन मालिकों को मुआवजा राशि का भुगतान कर दिया गया. मगर पापा को मुआवजा नहीं मिला. क्योंकि मेरे पापा 15 लाख घूस नहीं दे पाए. जिसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से करने पर मामले की जांच हुई. जिसमें कई लोग दोषी पाए गए. मगर एक कर्मचारी को निलंबित कर पूरे मामले को दबा दिया गया.
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जांच अफसर ने गलत जानकारी देकर अफसरों को बचाया
पत्र में रिया ने बताया है कि मुआवजा दिलाने के लिए पापा से तत्कालीन सीओ, कर्मचारी ने 15 लाख रुपये मांगे थे. अन्य सभी लोगों को वर्ष 11-12 में ही मुआवजा दे दिया गया. पूरे मामले की जांच उप समाहर्ता, सदर, रांची को मिली थी. उन्होंने 04.08.16 को नामकुम अंचल जाकर जांच पड़ताल की. उन्होंने जांच रिपोर्ट में गलत जानकारी देकर दोषियों को बचाने का काम किया. जांच रिपोर्ट (पत्रांक 1988,19.08.16) में उप समाहर्ता ने गलत जानकारी देते हुए बताया कि जिला भू-अर्जन कार्यालय द्वारा भूमि का मुआवजा किसी को नहीं दिया गया है. जब 12 लोगों को बगैर दाखिल-खारिज व जमाबंदी कायम हुए मुआवजा मिल चुका है तो एक दिनेश प्रसाद के लिए दाखिल-खारिज को आधार क्यों बनाया जा रहा है?
राज्यपाल, सीएम, मुख्य सचिव, एसएसपी को लिखा पत्र
दिनेश कुमार ने मुआवजा राशि हड़पने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, रांची डीसी और एसएसपी को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है. मुआवजा राशि भुगतान में गड़बडी करने वाले अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने, जल्द मुआवजा राशि दिलवाने का आग्रह किया है.
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सीएम जन संवाद केंद्र में भी की थी शिकायत
समस्या का हल नहीं होता देख दिनेश प्रसाद ने तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के समय मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र में (जी.नं.-2016.44057, 11.06.16) आवेदन दिया था. केंद्र द्वारा पूरे मामले की जानकारी पत्र के माध्यम से रांची जिला प्रशासन को दी गई. जिला भू-अर्जन पदाधिकारी,रांची ने अपर समाहर्ता रांची को पत्र के माध्यम से मामले की जानकारी दी. पत्र में उन्होंने बताया कि आवेदक दिनेश कुमार प्रसाद, पिता स्व. रामचंद्र साव के नाम से मौजा हेथू , खाता सं. 30, खसरा सं. 1195 एवं 1202, रकबा 26 कट्ठा दाखिल खारिज नहीं होने से जमाबंदी कायम नहीं है. प्रतिवेदन के आधार पर भूमि के मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया है. अफसरों ने जन संवाद केंद्र में सुनवाई के दौरान गलत जानकारी देकर सब को धोखा देने का काम किया. जबकि सच्चाई कुछ और ही है. अभी सीटी एसपी पूरे मामले की जांच कर रहे हैं.
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