Seraikela (Bhagya Sagar Singh) : सरायकेला नगर पंचायत क्षेत्र के अपने सफाई कर्मी एवं साधन तो हैं ही. इसके अलावा शहरी क्षेत्र को पूर्णरूपेण स्वच्छ बनाये रखने की जिम्मेवारी एमएसडब्ल्यू को निर्धारित नियम अंतर्गत दी गयी है. यह कंपनी आंशिक तौर पर काम भी कर रही है, लेकिन व्यवस्था में भारी कमी होने के कारण यह योजना पूरी तरह फ्लॉप सी होती जा रही है. जानकारी के अनुसार उक्त कंपनी अंतर्गत कार्यरत सफाई कर्मी वाहन लेकर डोर-टू-डोर कचरा एकत्रित कर कचरा गाड़ी में डालते हैं.
भूखंड नहीं मिलने से पूरा प्लान हुआ फ्लॉप
इसके बाद कचरा वजन कर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में पहुंचा देते हैं. जहां कचरों का प्रबंधन विशेष तकनीक से किया जाता है. इस व्यवस्था के तहत घर से लेकर पूरा शहरी क्षेत्र पूर्णरूपेण स्वच्छ व सुंदर रहता है. ये तैयारियां लगभग पांच वर्षों से नगर पंचायत द्वारा जारी है. लेकिन ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कहां किया जाए, इसके लिए मात्र डेढ़ एकड़ भूखंड नहीं मिलने से पूरा प्लान फ्लॉप होकर रह गया है.
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जहां-तहां कचरा डालने के कारण स्थानीय निवासियों व सफाई कर्मियों में होते रहते हैं विवाद
दर्जनों विविध प्रकार के वाहन एवं अन्य व्यवस्था रहने के बाद भी शहरी क्षेत्र के अनेक हिस्से गंदगियों से पटे पड़े हैं. जबकि समय-समय पर हजारों रुपये खर्च कर ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन के प्रशिक्षण एवं कार्यशाला होते रहे हैं. घरों में कचरा एकत्रित करने के डब्बे भी एक दौर वितरित कर दिए गए हैं. विविध आकार-प्रकार के डस्टबिन भी सड़क किनारे स्थापित किये गए हैं. लेकिन समस्या वहीं अटक जाती है कि कचरा एकत्रित करने के बाद उसका क्या किया जाए. मजबूरन सफाई कर्मियों को शहरी क्षेत्र के अगल-बगल या नदी किनारे कचरों को डालना पड़ता है. जहां-तहां कचरा डाले जाने के कारण आये दिन स्थानीय निवासियों एवं सफाई कर्मियों के मध्य विवाद भी होते रहते हैं.
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ठोस अवशिष्ट प्रबंधन हेतु चयनित भूखंड पर संयंत्र लगाने का ग्रामीणों ने किया विरोध
सरायकेला अंचल अंतर्गत इटाकुदर में वर्षों पूर्व ही ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु चयनित भूखंड पर संयंत्र लगाने का ग्रामीणों द्वारा विरोध किया गया था. विगत सप्ताह पुनः उसी स्थल के लिये ग्राम सभा करवाया गया. इस बार भी ग्राम सभा में प्रस्ताव को अस्वीकार किया गया. लोगों में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि क्या सरकार के पास खास एवं गोचर जैसे सार्वजनिक उपयोग के भूखंड इस अंचल में रहे नहीं या ऐसे सभी सरकारी भूखंडों पर दबंग लोग अतिक्रमण कर रखे हैं. जिसके कारण नगरपंचायत को मात्र डेढ़ एकड़ भूखंड उपलब्ध कराना भी कठिन होने लगा है.
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