Seraikela (Bhagya sagar singh) : सरायकेला साप्ताहिक हाट परिसर पर सप्ताह में एक दिन शुक्रवार को दैनिक उपयोगी वस्तुओं एवं फल सब्जियों की दुकानें लगती हैं. जिनकी खरीद-बिक्री क्रेता एवं विक्रेता के मध्य मोल-तोल के साथ किया जाता है. लेकिन सप्ताह के अन्य छह दिनों में साप्ताहिक हाट परिसर पर मजदूरों के मजदूरी का मोल-तोल होता है. प्रतिदिन सुबह सात बजे से क्षेत्र के राजमिस्त्री सहित पुरुष एवं महिला मजदूर इस मंडी में मजदूरी की खोज में इकठ्ठे होते हैं.
इसे भी पढ़े : चाकुलिया : ध्यान फाउंडेशन गौशाला में महिला मजदूर को सांप ने डंसा
मजदूरों के मजबूरी का लाभ उठा रहे ठेकेदार
मजदूरों के साथ ठेकेदार, पेटी ठेकेदार या निजी स्तर पर काम कराने वाले मजदूरों के मजदूरी को लेकर मोल-तोल शुरू कर देते हैं. मजदूरों के अनुसार कोरोना काल के बाद से मजदूरी मिलना काफी कम हो गया है. पहले काम अधिक होते थे एवं मजदूर कम. लेकिन आज स्थिति उलट हो गयी है. क्षेत्र में काम बहुत कम होने लगे हैं तथा मजदूरों की संख्या में बढोत्तरी हो गयी है. इसलिये काफी कम मजदूरी में भी ये बाध्य होकर मजदूरी करते हैं.
इसे भी पढ़े : चाईबासा : कोल्हान विवि के घंटी आधारित शिक्षकों काे मिला 6 माह का विस्तार
मजदूरों को दर से काफी कम प्राप्त होता है मजदूरी
सरायकेला में मौजूदा मजदूरी रेट के संबंध में मिली जानकारी अनुसार राजमिस्त्री 500 रुपये, पुरुष मजदूर 350 से 400 रुपये, महिला मजदूर 300 से 350 रुपये की मांग मजदूरों की ओर से रखी जाती है. जबकि मजदूरों के मजबूरी का लाभ उठाते हुए इन्हें इस दर से काफी कम मजदूरी प्राप्त होता है. नियमित एक सप्ताह तक इन्हें काम मिलेगा या नहीं इसकी भी कोई गारंटी नहीं रहती. काम के दौरान अल्पाहार की सुविधा नहीं मिलती. यहां तक की काम करते हुए चोट चपेट की स्थिति में ही इन्हें स्वयं अपना इलाज अपने खर्च पर ही कराना पड़ता है.
इसे भी पढ़े : जगन्नाथपुर : राज्य स्तरीय चित्रकारी प्रतियोगिता में शांति सिंकू ने किया जिले का नाम रोशन
असंगठित मजदूरों का नहीं है कोई संगठन
विदित हो कि यहां के असंगठित मजदूरों का कोई संगठन नहीं है. ये अगल-बगल के गांव से बाजार में मजदूरी की खोज में आते हैं. दिन भर मजदूरी कर चावल-सब्जी खरीद कर संध्या समय वापस घर लौटते हैं. अगर कोई संगठन हो भी तो इसकी जानकारी इन मजदूरों को नहीं है. सभी प्रकार के श्रमिकों की सुरक्षा एवं हितरक्षा करने वाले श्रम विभाग को भी संभवतः इस मजदूर मंडी की जानकारी नहीं है. जहां प्रतिदिन दो से तीन सौ मजदूर काम की खोज में इकठ्ठे होते हैं.
इसे भी पढ़े : हरे निशान पर खुला शेयर बाजार, सेंसेक्स 242 अंक उछला, निफ्टी 18000 के पार