Seraikela(Bhagya sagar singh) : सरायकेला व आस-पास क्षेत्र के प्रायः सभी मुख्य पारम्परिक पर्व, त्योहार एवं मेला किसी न किसी आध्यत्मिक आस्था के साथ जुड़ा हुआ है. इसी क्रम में मकर संक्रांति एवं उसके बाद आखान यात्रा में भी नववर्ष का शुभारम्भ आस्था के साथ जुड़े पूजा पाठ के साथ अनेक स्थानों पर किया जाता है. सरायकेला शहरी क्षेत्र अंतर्गत देवी स्थल झुमकेश्वरी में क्षेत्र के हरिजन समाज द्वारा आखान पूजा प्रतिवर्ष 15 जनवरी को किया जाता है. इस पूजा में सरायकेला एवं खरसावां सहित सीनी, जमशेदपुर, चक्रधरपुर, चाईबासा सहित ओड़िशा एवं बंगाल क्षेत्र से भी समाज के लोग देवी माता की पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं. पूजा अर्चना के बाद पूजा स्थल के बगल में खरकाई नदी के कीनारे हजारों की संख्या में लोग वनभोज करते हैं.
इसे भी पढ़ें :आदित्यपुर : एनआईटी जमशेदपुर का टेक्निका-23 शुक्रवार से
पूजा कर सुख शांति की कामना की जाती है
झुमकेश्वरी देवी स्थल पर आखान पूजा के सम्बंध में सरायकेला के होमियोपैथिक चिकित्सक सुंदर श्याम मुखी कहते हैं कि यह पूजा हमारे समाज द्वारा आदि काल से किया जा रहा है. देवी माता की पूजा उस दिन समाज के लोग स्वयं करते हैं. पंडित, पुजारी या देउरी द्वारा पूजा नहीं कराया जाता है. नववर्ष के अवसर पर पूजा के माध्यम से देवी माता से वर्ष भर सुख शांति की कामना की जाती है. इस पूजा में बतख, मुर्गे एवं बकरों की बलि चढ़ा कर देवी माता को प्रसन्न किया जाता है. पूजा में समाज के सदस्यों का आपस में मिलन और विचारों का आदान प्रदान भी होता है.
इसे भी पढ़ें :कड़ाके की ठंड के बीच राहुल के नेतृत्व में शामली के ऐलम गांव से आगे बढ़ी भारत जोड़ो यात्रा