MumbaI : कश्मीर से कश्मीरी पंडित खौफजदा होकर अपना घर-बार सबकुछ छोड़कर पलायन कर रहे हैं. बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले हो रहे हैं. औरतों की आबरू से खेला जा रहा है. पाकिस्तान और चीन अलग से आंख दिखा रहे हैं. लेकिन भाजपा में शामिल हुए नये उठल्लू इस बात पर खामोश हैं. वे बात से दुखी हैं कि शिवसेना ने सत्ता के लिए हिंदुत्व कैसे छोड़ दिया. इन्हीं नव हिंदुत्ववादियों की वजह से हिंदुत्व खतरे में आया है. शिवसेना ने इन शब्दों के साथ अपने मुखपत्र सामना के जरिये भाजपा पर जमकर हमला बोला है. सामना ने अपने संपादकीय में लिखा है कि सच कहें तो हिंदुत्व, इस पवित्र शब्द के उच्चारण करने की इनकी औकात(भाजपा) नहीं है.
कश्मीरी पंडित डर के साये में हैं
देश में कुल मिलाकर ऐसी स्थिति है कि आज हिंदू खतरे में आ गया है. यह लेख लिखने के दौरान कश्मीर के हिंदुओं की चीत्कार और आक्रोश से हमारा हृदय व्यथित हो गया है. कश्मीरी पंडित डर के साये में हैं और उन्होंने बड़ी संख्या में पलायन शुरू कर दिया है. 90 के दशक में कश्मीर घाटी में ठीक ऐसी ही तनावपूर्ण स्थिति थी. पिछले 15 दिनों में कश्मीर घाटी से 220 हिंदू-सिख परिवारों ने जम्मू स्थित शरणार्थी शिविरों में शरण ली है. ये कोई (नव) हिंदुत्व के लिए अच्छे लक्षण नहीं हैं.
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मोदी सरकार का कर्तव्य कश्मीर, बांग्लादेश के हिंदुओं की रक्षा करें
सामना का संपादकीय कहता है कि हिंदुत्व का सबक सिखाने वालों को कश्मीर में हिंदुओं का पलायन और हत्या दिखाई न देना, इस पर शिवसेना को हैरानी होती है. बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों पर हमले हो रहे हैं. हिंदुओं की बस्तियां जलाई जा रही हैं. हिंदू लड़कियों की इज्जत पर हमला किया जा रहा है. पूरे बांग्लादेश में हिंदू समाज डर के साये में किसी तरह जी रहा है. महाराष्ट्र के खोखले हिंदुत्ववादी जो (शिवसेना ने हिंदुत्व छोड़ दिया है) कहकर गला साफ कर रहे हैं, उन्हें बांग्लादेश के हिंदुओं की दुर्दशा चिंतित नहीं करती है. कश्मीर व बांग्लादेश में जल रहे हिंदुओं की रक्षा करना मोदी सरकार का ही कर्तव्य है. हिंदुओं के इस तरह से खतरे में आने के दौरान खोखले प्रवचन झाड़ने से क्या हासिल होगा? भाजपा के सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने तो हिंदुत्व की रक्षा के लिए बांग्लादेश पर सैनिक कार्रवाई करने का सुझाव दिया है.
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हिंदू -मुसलमान के खेल से हिंदू भी थक गया है
सामना ने भाजपा पर निशाना साधते हुए लिखा, वोटों के लिए हिंदुत्व की धूल उड़ानी, हिंदू-मुसलमान का खेल खेलना. इससे तनाव का वातावरण निर्माण करके वोट हासिल करना. इस खेल से अब हिंदू भी थक गया है. शिवसेना ने सत्ता के लिए हिंदुत्व छोड़ दिया. ऐसा कहनेवाले लोग जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की पार्टी से सत्ता के लिए रचाया गया निकाह भुला सकते हैं क्या? आपका वह निकाह कहते हैं कि व्यापक राष्ट्रीय हित के लिए! वहां तो सीधे-सीधे अलगाववादी आतंकियों से हाथ मिलाकर ही सत्ता का शीर-कुरमा खाया था. उस शीर-कुरमा के दांतों में फंसे हुए रेशे वैसे ही रखकर शिवसेना को हिंदुत्व का प्रवचन देना मतलब दिमाग ठिकाने पर नहीं होने का लक्षण है.