NewDelhi : क्या ट्विटर का एल्गोरिद्म((Algorithm) दक्षिणपंथी पार्टियों के ट्वीट्स को ज्यादा प्राथमिकता देता है? एक रिसर्च यही कह रहा है. रिसर्च करने वाली टीम के अनुसार उसने ट्विटर के एल्गोरिद्म पर अध्ययन किया, जिसमें यह पता चला कि ट्विटर अपने यूजर्स को दक्षिणपंथी विचारधारा वाली पार्टियों के ट्वीट्स को ज्यादा तरजीह देता है. बता दें कि कंपनी ने दुनिया के सात देशों कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका पर यह अध्ययन किया है.
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ट्विटर का एल्गोरिद्म कौन से ट्वीट को ज्यादा प्रमोट कर रहा है
रिसर्च के अनुसार इन देशों की राजनीतिक पार्टियों द्वारा एक अप्रैल 2020 से लेकर 15 अगस्त तक ट्विटर पर शेयर की गयी सामग्रियों की जांच की गयी. इस क्रम मे पता लगाया गया कि ट्विटर का एल्गोरिद्म कौन से ट्वीट को ज्यादा प्रमोट कर रहा है. रिसर्च में चौंकाने वाली बात सामने आयी. पता चला कि मुख्यधारा की दक्षिणपंथी पार्टियों के ट्वीट्स को वामपंथी विचारधारा वाली पार्टियों के मुकाबले ज्यादा प्राथमिकता मिल रही है.
Twitter is a sociotechnical system – our algos are responsive to what’s happening. What’s next is a root cause analysis – is this unintended model bias? Or is this a function of what & how people tweet, and things that are happening in the world? Or both? 6/n
— Rumman Chowdhury (@ruchowdh) October 21, 2021
ट्विटर मेटा टीम की निदेशक रुम्मन चौधरी कहती हैं कि जानकारी सामने आयी कि वामपंथी दलों की तुलना में दक्षिणपंथी विचारधारा वाले ट्वीट्स को ट्विटर के एल्गोरिद्म ज्यादा आगे बढ़ रहे हैं. चौधरी ने एक ट्वीट में कहा, ट्विटर एक सामाजिक-तकनीकी प्रणाली है… जो हो रहा है उसके लिए हमारे एल्गो जिम्मेदार हैं. अब इसके मूल कारण का विश्लेषण करना है कि क्या यह मॉडल अनपेक्षित रूप से पूर्वाग्रह से ग्रसित है? या यह दुनिया में हो रही घटनाओं को लेकर लोगों के ट्वीट्स के आधार पर काम कर रहा है? या फिर इसके पीछे दोनों वजह हो सकती हैं.’
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यह पहला मौका नहीं जब ट्विटर के एल्गोरिद्म पर सवाल उठे हैं
उन्होंने कहा कि हम इसका कारण पता करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, अभी इन सवालों का जवाब देना काफी कठिन है. जान लें कि यह पहला मौका नहीं जब ट्विटर के एल्गोरिद्म पर सवाल उठे हैं. इससे पूर्व अप्रैल में हुई एक स्टडी में सामने आया था कि अश्वेत लोगों के मुकाबले ट्विटर गोरे व युवा चेहरों को ज्यादा तरजीह देता है. रिसर्च कहती है कि जब एक तस्वीर में दो चेहरे होते हैं, तब प्रीव्यू के लिए ट्विटर उस तस्वीर को चुनता है जो दोनों में अपेक्षाकृत गोरे होते हैं. इसके बाद ट्विटर ने अपनी नीति में बदलाव किया था और कहा था कि यूजर्स अपनी तस्वीर को खुद एडिट करे तो यह उनके लिए बेहतर होगा.