- -सैकड़ों हरे-भरे पेड़ काटे गए, वन विभाग बेखबर
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जता चुकी हैं नाराजगी
- न डीएफओ से अनुमति ली और न ही जानकारी दी
Kaushal Anand/ Pravin Kumar
Ranchi : राजभवन के सैकड़ों पुराने व बड़े हरे-भरे पेड़ काट दिए गए हैं. ऐसे पेड़ों की संख्या 100-200 नहीं बल्कि एक हजार से अधिक बतायी जा रही है. ऐसा हुआ है राज्य के पूर्व राज्यपाल रमेश बैस के कार्यकाल में. राज्यपाल के आदेश-निर्देश के बाद पेड़ों पर आरी चलाई गई है. इन पेड़ों की कटाई के लिए वन विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गई. रांची के डीएफओ ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि न तो उनसे पेड़ काटे जाने की अनुमति ली गयी और न ही उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी दी गयी. डीएफओ कहते हैं कि आप प्रमाण भेजिए, हम राज्यपाल के प्रधान सचिव से बात करेंगे, दिखवाएंगे कि मामला क्या है.
100-200 साल पुराने कई पेड़ों की चढ़ा दी बलि
राजभवन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, काटे गए बरगद, पीपल, शीशम के पेड़ों में से कई पेड़ 100 से 200 साल पुराने थे. ऐसे हरे-भरे पेड़ फिर से तैयार होने में वर्षों लग जाएंगे. कटवाए गए सभी पेड़ हरे भरे थे.
जिनकी जड़ें नहीं उखड़ीं, उन्हें राष्ट्रपति के आने से पहले रंगवा दिया
जो पेड़ काटे गए और जिसकी जड़ों को उखाड़ा नहीं जा सका, उसे वैसे ही छोड़ दिया गया. अचानक जब राष्ट्रपति के रांची दौरे का कार्यक्रम तय हो गया, तो आनन-फानन में कटे हुए पेड़ों के बचे हुए ठूंठ को रंगवा दिया गया. पूरे राजभवन परिसर में ऐसे रंगे हुए ठूंठ आसानी से देखे जा सकते हैं.
मॉर्निंग-इवनिंग वॉक के वक्त राष्ट्रपति की नजर कटे पेड़ों पर गई
राजभवन सूत्रों के अनुसार, राजभवन में राष्ट्रपति के दौरे के दौरान कटे हुए पेड़ों की निशानियों को छुपाने का प्रयास किया गया, मगर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की नजर उन पर पड़ ही गई. मुर्मू पूर्व में झारखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं. उनके कार्यकाल के दौरान जहां हरा-भरा जंगल होता था वहां ज्यादातर पेड़ काट दिए गए. ऐसे में राष्ट्रपति की नजरें कटे पेड़ों की ओर गईं तो उन्होंने वहां तैनात अफसरों को बुलाया. राजभवन कैंपस में काटे गए पेड़ों के संबंध में पूछताछ की. वहां मौजूद संतरियों ने राष्ट्रपति को बताया कि पूर्व राज्यपाल रमेश बैस के निर्देश पर कैंपस के हरे-भरे पेड़ काटे गए हैं.
काटे गए पेड़ों की लकड़ियां अब भी राजभवन में पड़ी हैं
राजभवन कैंपस के जो पेड़ काटे गए, उनकी सूखी लकड़ियां एक ओर अब भी राजभवन परिसर में जमा कर रखी गयी हैं. राजभवन में पड़ी सूखी लकड़ियां ही काटे गए हरे-भरे पेड़ों की कहानी बयां कर रही हैं.
कभी हरा-भरा दिखने वाला राजभवन अब समतल दिख रहा
62 एकड़ में फैला राजभवन कभी पूरी तरह से हरा-भरा था. लेकिन आज राजभवन परिसर में कई क्षेत्र वीरान, सपाट समतल नजर आ रहे हैं. ऐसा लगता है कि मानो राजभवन कैंपस में कोई मैदान है.
राजभवन से जुड़े कुछ फैक्ट
- 62 एकड़ में फैला है राजभवन परिसर
- 1930 में इसका निर्माण शुरू हुआ था
- 1931 में 7 लाख रुपये की लागत से बन कर तैयार हुआ
- इसका डिजाइन सेलडो बैलार्ड ने तैयार किया था.
- राजभवन परिसर से जुड़ा एक आड्रे हाउस है, जिसे राज्यपाल सचिवालय के रूप में जाना जाता रहा है, जिसे कैप्टन हैनिंगटन ने बनवाया था. 1850 से 1856 तक वे छोटानागपुर के उपायुक्त थे.
- अकबर उद्यान- 2005 में नए सिरे से विकसित किया गया. इसमें गुलाब और मौसमी फूलों का एक सुंदर संग्रह है.
- बुद्ध उद्यान – गौतम बुद्ध के नाम पर एक सुंदर परिदृश्य और एक ग्रीन हाउस है
- अशोक उद्यान – मुख्य बगीचे का क्षेत्रफल लगभग 52,000 वर्ग फुट (4,800 वर्ग मीटर) है.
- महात्मा गांधी उद्यान – राजभवन के दक्षिण दिशा में, यह उद्यान औषधीय पौधों का संग्रह है. इसके बीच में एक खूबसूरत फव्वारा है.
- नक्षत्र वन – नया उद्यान विकसित किया गया है.
- राजभवन में मौसमी फूल, रुद्राक्ष, पीला बांस, कल्पतरू, सिंदूर, चंदन, कबाब चीनी, दालचीनी, पीपल, बट, शीशम, बरगद सहित कम से कम से 500 से अधिक वैरायटी के पेड़ हैं.
क्या हैं पेड़ काटने के नियम
वन विभाग के अनुसार, निजी या सार्वजनिक स्थल पर किसी भी पेड़ को काटने के पूर्व वन विभाग को जानकारी देना और अनुमति लेना अनिवार्य है. जब वन विभाग के पास इसका आवेदन आता है, तो देखा जाता है कि पेड़ कितने पुराने हैं, कितनी मोटाई, कितनी लंबाई और कितनी चौड़ाई है. यह भी देखा जाता है कि पेड़ की कितने हिस्से में कटाई होनी जरूरी है, ताकि कोई भी निर्माण कार्य प्रभावित न हो. बिना अनुमति या बिना जानकारी के पेड़ काटना कानूनन जुर्म है.
राजभवन कैंपस में पेड़ काटे जाने की जानकारी नहीं : डीएफओ
रांची के डीएफओ श्रीकांत वर्मा ने कहा कि राजभवन में पेड़ काटे जाने की कोई सूचना नहीं है. हां रातू रोड एलिवेटेड सड़क निर्माण के लिए नागाबाबा खटालवाली सड़क के पास राजभवन की चहारदिवारी के कुछ हिस्से का अधिग्रहण किया गया है. इसे लेकर कुछ गिने-चुने पेड़ों की कटाई की जानकारी हमें दी गयी थी. मगर राजभवन परिसर के हरे-भरे पेड़ों को काटने की कोई जानकारी न तो फॉरेस्ट विभाग को दी गयी है और न ही अनुमति ली गयी है. आप लोगों के पास कोई जानकारी है तो बताएं, हम लोग राज्यपाल के प्रधान सचिव से बात करेंगे.
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