Vinit Upadhyay
Ranchi: वैश्विक महामारी कोरोना का साइड इफेक्ट भी देखने को मिल रहा है. कोराना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए एहतियात के तौर पर सरकार ने लॉकडाउन लगाया गया था. साल 2020 में लगे लॉकडाउन में लोग डिप्रेशन के शिकार होने लगे थे. घरों की चहारदिवारी में लोग काफी दिनों तक कैद रहे. इस दौरान कई लोगों की नौकरी भी चली गयी. जबकि कईयों की सैलरी में कटौती से आर्थिक स्थिती भी लोंगों की खराब होती चली गय़ी. परिवार चलाने का बोझ और अन्य जिम्मेवारियों की चिंता से घरेलू झगड़े बढ़ने लगे. रिश्तों में धीरे-धीरे बढ़ती कड़वाहट ने अलगाव का रूप ले लिया. जिससे कई शादियां टूटने की कगार पर पहुंच गयी. आंकड़े बताते हैं कि कोरोना काल के दौरान लगाए गए लॉकडाउन से लेकर अब तक तलाक लेने वाले दंपतियों की संख्या में इजाफा हुआ है.
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सिविल कोर्ट में बढ़े तलाक के मामले
वर्ष 2019 में रांची में 359 पति पत्नी ने अपने रिश्ते के बंधन को तोड़ते हुए तलाक ले लिया. जबकि 2020 में यह आंकड़ा 357 हो गया और वो भी ऐसे समय में जब काफी समय तक न्यायालय का कार्य सुचारू रूप से नहीं चला. यह आंकड़ा 2021 में अगस्त तक 335 तक पहुंच चुका है.
रांची सिविल कोर्ट में तलाक के लिए आवेदन देने वाले दंपतियों की काउंसलिंग के लिए नियुक्त एक एक्सपर्ट मीडिएटर बताते हैं कि लॉकडाउन और उसके बाद ज्यादातर पुरुष अपनी नौकरी और पैसों की चिंता से तनाव में हैं. छोटे बिजनेस मैन और कर्मचारी इससे सबसे ज्यादा चिंतित हैं. जिसका असर हो रहा है कि लोग अपने पारिवारिक सदस्यों से ही छोटी-छोटी बातों पर उलझ जा रहे हैं और घरों की चहारदिवारी की लड़ाई न्यायालय की चौखट तक पहुंच जा रही है. इसका सबसे बुरा प्रभाव शादियों पर पड़ा है. पहले से ही कमजोर शादियां लॉकडाउन में टूट गयीं.
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