Ranchi : बिल्डिंग रेगुलराइजेशन समेत नगर निगम से जुडी अन्य समस्याओं पर फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज और नगर आयुक्त की मैराथन बैठक शुक्रवार को चैंबर भवन में संपन्न हुई. चैंबर की पहल पर नगर आयुक्त सह आरआरडीए के उपाध्यक्ष मुकेश कुमार ने चैंबर भवन में उपस्थित व्यापारियों की क्रमवार समस्याएं सुनी. साथ ही रांची शहर को स्वच्छ, सुंदर और सुव्यवस्थित बनाने के लिए अपेक्षित सहयोग की अपील की. बैठक के दौरान भवनों को रेगुलराइज करने के मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा हुई. बैठक में चैंबर अध्यक्ष ने किया आगाह किया कि सरल बिल्डिंग रेगुलराइजेशन बिल लाया जाये, नहीं तो बड़ी कंपनियां पटना में शिफ्ट करने की योजना बना रहे हैं.
नोटिस भेजकर कर भय का माहौल बनाया जा रहा
बैठक में नगर आयुक्त सह आरआरडीए के उपाध्यक्ष को यह भी अवगत कराया गया कि अब आरआरडीए क्षेत्र में बने वेयरहाउसेस को भी नोटिस निर्गत कर भय का माहौल बनाया जा रहा है. इन वेयरहाउसेस का निर्माण तब हुआ था जब आरआरडीए अस्तित्व में ही नहीं था. लोगों ने उस समय तत्कालीन व्यवस्था के तहत सक्षम प्राधिकार की अनुमति से ही वेयरहाउसेस का निर्माण कराया था.
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बड़ी कंपनियां अपना व्यापार शिफ्ट करने की योजना बना रही : चैंबर अध्यक्ष
चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा ने कहा कि वर्तमान में आरआरडीए क्षेत्र में बने वेयरहाउसेस को नोटिस जारी करने से बडी-बडी कंपनियां अपना व्यापार पटना में शिफ्ट करने की योजना बना रही हैं. इससे सरकार को राजस्व की हानि तो होगी ही, प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुडे काफी संख्या में लोगों की आजीविका भी प्रभावित होगी. चैंबर अध्यक्ष ने प्रदेश में वर्षों पूर्व निर्मित भवनों को रेगुलराइज करने के लिए सरल रेगुलराइजेशन बिल लाये जाने की भी बात कही.
रेगुलराइजेशन बिल के प्रावधान जटिल : बिजय अग्रवाल
आर्किटेक्ट एसोसियेशन द्वारा अवगत कराया गया कि ओड़िशा सरकार द्वारा काफी लिबरल पॉलिसी लाकर ऐसी भवनों को रेगुलराइज किया गया है. झारखंड में भी ऐसी पहल होनी चाहिए. क्रेडाई के अध्यक्ष बिजय अग्रवाल ने कहा कि पूर्व में सरकार द्वारा लाये गये रेगुलराइजेशन बिल के प्रावधान जटिल थे, जिस कारण इस योजना से अधिक लोग लाभान्वित नहीं हो सके थे. इसलिए इस गंभीर समस्या का समाधान करने में निगम द्वारा सहयोग किया जाये.
पुराने भवनों को ध्वस्त करने की मंशा नहीं : नगर आयुक्त
नगर आयुक्त मुकेश कुमार ने व्यक्तिगत तौर पर यह स्वीकार किया कि उनकी मंशा भी वर्षों पुरानी निर्मित भवनों को ध्वस्त करने की नहीं है. किंतु नियम सम्मत कार्रवाई करना उनकी विवशता है. उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि कुछ लोगों द्वारा इस अभियान को केवल अपर बाजार वर्सेज ऑल बना दिया गया है, जो सही नहीं है. अपर बाजार में केवल 350 केस दर्ज हुए हैं, जबकि यहां से अधिक मामले अन्य क्षेत्रों में हैं. इस मामले में वर्तमान में लगभग 6500 केस दर्ज हुए हैं. और यह आंकडा रोज बढ रहा है. अभियान के आरंभ में कुछ लोगों द्वारा यह भी धारणा बनाई जा रही थी कि नगर निगम इस मामले में पिक एंड चूज प्रक्रिया अपना रहा है, जबकि ऐसा नहीं है. चैंबर की भी जिम्मेवारी है कि वह इस आम धारणा को बदलने में निगम का सहयोग करे. पर हर एक अभियान की कुछ अच्छी चीजें भी होती हैं. इस अभियान के बाद से लोगों में जागरूकता आई है. परिणामस्वरूप आज प्रायः सभी निर्माणाधीन भवन नियमसम्मत ही बन रहे हैं. इस समस्या का स्थाई समाधान केवल बिल्डिंग रेगुलराइजेशन बिल ही है. जब तक कोई बिल नहीं आता, तब तक इस अभियान को नहीं रोका जा सकता है.
चैंबर ड्राफ्ट पॉलिसी मुझे सौंपे
चैंबर और क्रेडाई मिलकर हमें कस्टमाइज्ड सॉल्यूशन दे. यह चैंबर की भी जिम्मेवारी है कि आप एक अच्छी पॉलिसी ड्राफ्ट करायें जो फिजीबल हो. आप ड्राफ्ट पॉलिसी मुझे सौंपे. मैं उसे अप्रूव करने के लिए सरकार से निवेदन करूंगा. उन्होंने आरआरडीए क्षेत्र में हो रही समस्या पर भी अपनी बातें रखीं और कहा कि कभी भी पंचायतों को यह अधिकार नहीं दिया गया कि वे नक्शा पास करें.
ये रहे उपस्थित
बैठक में चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा, महासचिव राहुल मारू, सह सचिव विकास विजयवर्गीय, कोषाध्यक्ष मनीष सर्राफ, आरएमसी उप समिति के चेयरमेन अमित शर्मा, कार्यकारिणी सदस्य अनिश बुधिया, वरूण जालान, राम बांगड, चैंबर के पूर्व अध्यक्ष मनोज नरेडी, अंचल किंगर, कुणाल अजमानी, दीपक अग्रवाल, प्रदीप एक्का, विनय सिंह के अलावा काफी संख्या में व्यापारी, इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ आर्किटेक्ट एसोसियेशन, झारखंड चैप्टर के पदाधिकारी समेत विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
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