Vinit Abha Upadhyay
Ranchi : अपराध और भ्रष्टाचार के मामलों में सजायाफ्ता होने की वजह से झारखंड के करीब आधा दर्जन नेता लोकसभा चुनाव के मैदान में नहीं उतर पाए. इनमें राज्य के पूर्व मुख़्यमंत्री और मंत्री रह चुके नेता शामिल हैं. इन्होंने चुनाव लड़ने का अधिकार खो दिया है. उपलब्ध आंकड़े के मुताबिक, झारखंड के 81 में से 31 विधायकों (करीब 39 प्रतिशत) पर गंभीर आपराधिक मामले हैं. झारखंड से लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों के खिलाफ भी कई मामले दर्ज हैं.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2013 में एक आदेश जारी किया था. जिसके मुताबिक, किसी भी जनप्रतिनिधि को अगर दो साल या दो साल से अधिक की सजा होती है, तो उसकी सदन की सदस्यता खत्म हो जाती है. साथ ही सजा खत्म होने की तारीख से छह साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाता है.
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मधु कोड़ा
जिन नेताओं ने चुनाव लड़ने का अधिकार खो दिया है, उसमें पहला नाम पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा का है. वह 18 सितंबर 2006 से 27 अगस्त 2008 तक झारखंड के मुख्यमंत्री थे. अर्जुन मुंडा व शिबू सोरेन की सरकार में वह मंत्री भी रहे. वर्ष 2017 में दिल्ली कोर्ट ने कोड़ा को कोलकाता स्थित कंपनी विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड को झारखंड स्थित कोयला ब्लॉक आवंटित करने में भ्रष्टाचार और साजिश का दोषी पाया और सजा सुनायी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. अभी वह जमानत पर हैं.
हरिनारायण राय
मधु कोड़ा, अर्जुन मुंडा और शिबू सोरेन की कैबिनेट में मंत्री रहे हरि नारायण राय भी चुनाव नहीं लड़ सकते. रांची की पीएमएलए (प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) की विशेष अदालत ने हरिनारायण राय को मनी लॉन्ड्रिंग के केस में दोषी पाते ठहराया था. 31 जनवरी 2017 को अदालत ने उन्हें सात साल की सजा सुनाई थी. जिसके बाद वह चुनाव लड़ने के योग्य नहीं रहे हैं.
एनोस एक्का
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ही रांची पीएमएलए की विशेष अदालत ने वर्ष 2020 में पूर्व मंत्री एनोस एक्का को सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी और दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. इसके अलावा वर्ष 2014 के चुनाव के दौरान एक पारा शिक्षक की हत्या के आरोप में भी अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया है. जिसके बाद से एनोस एक्का के चुनाव लड़ने पर भी रोक है.
योगेंद्र साव व निर्मला देवी
राज्य के पूर्व मंत्री व कांग्रेसी नेता योगेंद्र साव और उनकी पत्नी निर्मला देवी भी सजायाफ्ता हैं. एक अक्टूबर 2016 को बड़कागांव में हुई पुलिस फायरिंग व गोलीबारी की घटना से संबंधित एक मामले में पूर्व मंत्री योगेन्द्र साव और उनकी पत्नी निर्मला देवी को अदालत ने वर्ष 2022 में 10 साल कैद की सजा सुनाई थी. झारखंड हाईकोर्ट ने इसी वर्ष 22 मार्च को उनकी उस अपील को खारिज कर दी है, जिसमें उन्होंने चुनाव लड़ने पर लगी रोक को हटाने की मांग की थी.
बंधु तिर्की
पूर्व मंत्री और फिलहाल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की को भी रांची की पीएमएलए की विशेष अदालत ने सजा सुनाई थी. जिसके बाद वह चुनाव लड़ने के योग्य नहीं हैं. वर्ष 2005 से 2009 तक मंत्री रहने के दौरान आय से अधिक 7.22 लाख रुपये की संपत्ति रखने के मामले में अदालत ने उन्हें तीन साल तक जेल की सजा सुनाई थी.
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