Ranchi: रोजगार के साथ-साथ परिसंपत्ति सृजन की दोहरी मंशा के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मनरेगा के अंतर्गत बिरसा हरित ग्राम योजना का शुभारंभ किया था. लेकिन यह योजना कछुआ चाल से चल रही है. 10 जून तक पौधों को लगाने के लिए गड्ढे खोदने का काम पूरा कर लेना था. मनरेगा के आंकड़ों के अनुसार गड्ढों को खोदने का काम 8 जून तक मात्र 9.4 प्रतिशत हो पाया था. जबकि 10 जून तक गड्ढों का काम पूरा कर लेना था.
15 जुलाई 2021 तक सूबे के 24 जिलों की 26650 एकड जमीन में फलदार वृक्षों के पौधे लगा कर उनकी घेराबंदी करने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन योजना की रफ्तार को देखते हुए समय पर इसका पूरा होना संभव नहीं लग रहा है. राज्य की 3030 पंचायतों के 7113 गांव इस योजना के अंतर्गत आते हैं. पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां और दुमका जिलों ने इस योजना को लेकर सबसे कम रुचि दिखाई है.
ग्रामीणों को रोजगार के साथ परिसंपत्ति देने की है योजना
बिरसा हरित ग्राम योजना योजना का लक्ष्य है कि आदिवासी तथा पिछड़ा लघु एवं सीमांत किसानों को मनरेगा के अंतर्गत 100 दिनों का रोजगार मिले. साथ ही फलदार वृक्ष के रूप में स्थायी परिसंपत्ति का सृजन हो, जो लंबे समय तक ग्रामीणों की आमदनी का साधन बने. झारखंड सरकार ने कोरोना काल में 4 मई 2020 को बिरसा हरित ग्राम योजना का शुभारंभ किया था.
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प. सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां और दुमका सबसे फिसड्डी
जिला लक्ष्य (एकड़) कार्य (%में)
बोकारो 1000 6.7
चतरा 900 6.7
देवघर 1500 38.6
धनबाद 600 7.2
दुमका 1100 1.5
पूर्वी सिंहभूम 900 9.9
गढ़वा 1000 12.4
गिरिडीह 1200 4.3
गोडडा 1000 3.0
गुमला 3000 9.1
हजारीबाग 1000 3.9
जामताड़ा 900 20.7
खूंटी 1800 11.1
कोडरमा 600 7.6
लातेहार 700 2.8
लोहरदगा 700 8.6
पाकुड़ 600 16.2
पलामू 1000 9.6
रामगढ़ 700 16.2
रांची 2000 15.6
साहिबगंज 450 19.9
सरायकेला 700 0.3
सिमडेगा 1300 13.6
प सिंहभूम 2000 0.0