Bismay Alankar
Hazaribagh: हजारीबाग के आसपास के इलाकों से कोयले की तस्करी धड़ल्ले से जारी है. हजारीबाग से तीन रुपये प्रति किलो कोयला बिहार और यूपी पहुंचते ही 10 रुपये प्रति किलो हो जाता है. 1 क्विंटल पर 600 से 700 रुपये की बचत से कोयला तस्करों की चांदी ही चांदी है. मोटरसाइकिल से बोरे में कोयला भर कर ले जाता आदमी भले ही एक सामान्य मामला लगे, लेकिन यह सुनियोजित तरीके से की जा रही तस्करी है. इसमें पूरा का पूरा संगठित गिरोह काम कर रहा है. मोटरसाइकल से कोयले की ढुलाई कर एक जगह डंप किया जाता है, फिर वहां से ट्रक-डंपर से बिहार-यूपी भेजा जा रहा है.
लाइन होटल बन गए हैं कोयला डंप करने की जगह
पिछले 15 दिनों से बेखौफ कोयला तस्करों की लगभग 400 मोटरसाइकिलों से चरही, कुजू, मांडू, बड़कागांव की अवैध खदानों से कोयला हजारीबाग, बरही एनएच से होते हुए चौपारण के चोरदाहा चेक पोस्ट के समीप लाइन होटलों में जमा जमा किया जाता है. यहां से कोयला ट्रकों में भरकर बिहार और यूपी भेज दिया जाता है. चोरदाहा और बिहार सीमा से लगे लाइन होटलों के पीछे कोयला डंप किया जाता है. सामान्य तरीके से देखने पर यह होटल में इस्तेमाल होने के लिए रखे कोयले जैसा प्रतीत होता है, लेकिन शाम होने पर इस कोयले को पिकअप वैन और ट्रकों पर लोड कर बाहर भेज दिया जाता है.
वजन का क्या है गणित ?
एक मोटरसाइकल पर 20 से 25 बोरा कोयला लदा रहता है. एक बोरे कोयला का वजन लगभग 40 से 50 किलोग्राम रहता है. इस हिसाब से एक मोटरसाइकिल पर तकरीबन 5- 6 क्विंटल वजन का कोयला रहता है. इस तरह दो मोटरसाइकिल पर एक टन कोयला रहता है. वहीं सामान्यतः एक ट्रक पर 22 से 24 टन कोयला लोड रहता है. इस हिसाब से 45 से 50 मोटरसाइकिल कोयला एक ट्रक कोयले के बराबर हो जाता है.
मोडिफाइड होती है तस्करी में इस्तेमाल होने वाली मोटरसाइकिल
मोटरसाइकिल से कोयला ढोने के लिए गाड़ी की संरचना में तब्दिली की जाती है, जहां आम मोटरसाइकिल में पीछे एक-एक सॉक ऑब्जर्बर या सॉकर लगा रहता है. वहीं कोयला ढोनेवाली मोटरसाइकिल में दोनों तरफ तीन सॉकर लगे होते हैं. इस तरह 2 शॉकर वाली सामान्य मोटरसाइकिल की जगह 6 सॉकर रहता है. जिस मोटरसाइकिल से कोयला ढोया जाता है, उसे मॉडिफाई कर पीछे तीन -तीन सॉकर दोनों तरफ लगाया जाता है, ताकि मोटरसाइकिल का बैलेंस बना रहे.
थाने के सामने से गुजरती है कोयला लदी बाइक
अवैध खनन के बाद कोयले से लदी मोटरसाइकिल आराम से हज़ारीबाग के एनएच पर स्थित थानों के सामने से गुजरती है. सुबह 5 बजे से 8 बजे तक तीन घंटे में कोयला लदी 200 मोटरसाइकिल चौपारण थाने के सामने से गुजर जाती है. सूत्र बताते हैं चौपारण प्रखंड के तीन व्यक्ति इस पूरी आवाजाही को मैनेज करते हैं. इस टीम को राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है. इस पूरे संगठित लूट को बिलकुल सामान्य घटना की तरह बताया जाता है और मोटरसाइकिल वाले को सहानुभूति की आड़ लेकर यह बताया जाता है कि परिवार के लिए ये लोग कड़ी मेहनत कर रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि यह एक संगठित तस्करी है. इसमें सभी की भागीदारी होती है. माइनिंग, पुलिस प्रशासन, जंगल विभाग की चुप्पी यह सब हकीकत बताने के लिए पर्याप्त है.
सरकार को भारी राजस्व का नुकसान
सुबह 5 बजे से 8 बजे तक यानी केवल तीन घंटे में हजारीबाग, चतरा, बोकारो और रामगढ जिले से लगभग 400 से अधिक मोटरसाइकिल कोयला बिहार और यूपी पहुंच जाता है. रोज लगभग 8 ट्रक कोयले के लिए झारखंड सरकार को किसी तरह का कर नहीं चुकाया जाता है.
हजारीबाग में कहां-कहां से हो रही तस्करी
हजारीबाग के बड़कागांव वन क्षेत्र में दर्जनों अवैध कोयले की खदानें धड़ल्ले से चल रही हैं. वहीं एनटीपीसी की कोयला खदानों के आसपास से भी कोयला निकाला जा रहा है. बड़कागांव वन क्षेत्र के रूदी, चेलंगदाग, इंदिरा-पसेरिया, गोंदलपुरा, बाबू पारा एवं गोंदलपुरा के नदी तट, बादम क्षेत्र के अंबा झरना, बेलावा टोगरी समेत अन्य खदानों से कोयले का अवैध खदान चल रहा है. इन खदानों में दर्जनों गुफा नुमा खदानें हैं, जो काफी जर्जर है. इन जर्जर खदानों की चाल कभी भी गिर सकती है. ये खुली खदानें दर्जनों मजदूरों की जान ले सकती है.
सूचना मिलती है, तो छापेमारी करते हैं
बड़कागांव और बनादाग के थाना प्रभारी से जब इस संबंध में बात की गयी, तो उन्होंने कहा कि हमारे इलाके में जब ऐसी तस्करी की ख़बरें आती हैं, तो हमलोग छापेमारी करते हैं. अभी दो दिन पहले ही छापेमारी की गयी है, जिसमें बनादाग के जंगलों से 6 टन कोयला बरामद किया गया है. वहीं बड़कागांव के इंस्पेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि लगातार छापेमारी की जा रही है और इसमें लगे तस्करों को पकड़ा जा रहा है.
सभी सीओ को कार्रवाई का निर्देश दिया है : डीसी
हजारीबाग डीसी नैंसी सहाय ने कहा उन्होंने अपने सभी अंचलाधिकारियों को अवैध कोयला, बालू और पत्थर का धंधा करनेवालों पर कड़ी करवाई करने का आदेश दिया है.
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