महात्मा गांधी का हजारीबाग से रहा है गहरा नाता
आजादी की लड़ाई के दौरान संत कोलंबा कॉलेज के ह्विटले हॉल में छूत-अछूत और विधवा विवाह पर लोगों को किया था जागरूक
Gaurav Prakash
Hazaribagh : हजारीबाग से महात्मा गांधी का विशेष नाता रहा है. यहां शहर के कुम्हारटोली में बापू का अस्थि कलश लाया गया था. वहां आज गांधी स्मारक बना दिया गया. लोग उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर उनका प्यारा भजन रघुपति राघव राजा राम… की प्रार्थना कर उन्हें अपना श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं.
आजादी के पहले हजारीबाग के संत कोलंबा कॉलेज के ह्विटले हॉल में उनका आगमन हुआ था. छूत-अछूत, अशिक्षा, अंधविश्वास, विधवा विवाह और पर्दा प्रथा के खिलाफ बापू ने भाषण देकर आम जनमानस में जागृति पैदा की थी. एकीकृत हजारीबाग चतरा के समय वह 1934 में वह चतरा भी पहुंचे थे. रामगढ़ अधिवेशन के दौरान तीसरी बार बापू का पदार्पण हजारीबाग में हुआ. 1948 में बापू की हत्या के बाद उनका अस्थि कलश हजारीबाग लाया गया. उनकी स्मृति में कुम्हारटोली में गांधी स्मारक बनाया गया है.
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सात दशकों से जीवंत हैं बापू की स्मृतियां
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शहादत के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं. लेकिन इन सात दशकों में बापू की स्मृतियां न धूमिल हुई हैं और न विस्मृत हुई हैं. प्रत्येक दिन का सूर्योदय राष्ट्रपिता के संदेशों का मंत्र बिखेरता प्रतीत होता है. आज से 75 वर्ष पहले 30 जनवरी 1948 को बापू की हत्या कर दी गई थी. यहां स्मरणीय है कि महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान हजारीबाग और इसके आसपास के इलाकों का सघन दौरा किया था.
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साल 1925 में हुआ था पहला आगमन
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का हजारीबाग में पहला आगमन 18 सितंबर 1925 को हुआ था. 17 सितंबर 1925 की सुबह रांची पहुंचे थे तथा दरभंगा हाउस में प्रवास हुआ था. रांची से हजारीबाग लाने के लिए प्रथम स्वतंत्रता महिला सेनानी सरस्वती देवी, बाबू रामनारायण ¨सह एवं त्रिवेणी प्रसाद रांची गए थे तथा दूसरे दिन 18 सितंबर का साथ लेकर हजारीबाग लौटे थे. इस घटना की चर्चा छोटानागपुर पत्रिका 1925 के अक्तूबर के अंक में भी की गई है.