- झारखंड में कभी भी एटम बम फट सकता है. एटम बम वाले बयान से प्रदेश की राजनीति सरगर्म, झामुमो-कांग्रेस का जोरदार पलटवार
- झामुमो बोलाः कई बमों का जवाब तीर-धनुष से दिया है, कांग्रेस ने कहाः हमारे पास हाथ, तीर-धनुष और लालटेन है, जमकर करेंगे मुकाबला
Nitesh Ojha/Satya Sharan Mishra
Ranchi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन लीज मामले में राज्यपाल रमेश बैस ने केंद्रीय निर्वाचन आयोग से दोबारा मतंव्य मांगा है. इसके बाद ही यह तय हो पाएगा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी रहेगी या जाएगी. दोबारा मंतव्य मांगे जाने की बात करते हुए राज्यपाल ने बुधवार की रात रायपुर में कहा था कि झारखंड में कभी भी एक-आध एटम बम फट सकता है. उनके इस बयान से प्रदेश की राजनीति फिर से सरगर्म हो गई है. सत्ता पक्ष झामुमो-काग्रेस और राजद के नेता इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. झामुमो का कहना है कि झारखंड के लोग तीर-धनुष चलाना जानते हैं. इतिहास गवाह है कि कई बमों का जवाब तीर-धनुष से दिया गया है. साजिश कर अगर हेमंत सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जाएगी तो पार्टी जनता की अदालत में जाकर भाजपा को बेनकाब करेगी, उसके मंसूबे पर पानी फेरेगी. कांग्रेसने ताओं ने इसे राज्यपाल का गैर जिम्मेदराना बयान बताते हुए कहा कि हमारे पास हाथ, तीर-धनुष के साथ-साथ लालटेन भी है. हर परिस्थिति का जमकर मुकाबला करेंगे.
नेता की तरह बात न करें राज्यपाल : राजेश ठाकुर
प्रदेश कांग्रेस अध्य़क्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि राज्यपाल का बयान समझ से परे है. ऐसे संवैधानिक पद को सुशोभित करने वाले व्यक्ति के मुंह से एटम बम जैसी बात शोभा नहीं देती. एटम बम विध्वंस का परिचायक है और राज्य का राज्यपाल कभी राज्य का विध्वंस नहीं चाहेंगे. उन्होने कहा कि राज्यपाल संविधान के संरक्षक हैं. उन्हें दलगत भावना से ऊपर उठकर बात करनी चाहिए, न कि एक विशेष राजनीतिक दल के नेता की तरह. हमने पहले भी राज्यहित एवं जनहित में कई बम डिफ़्यूज़ किये हैं. कभी भी हम राज्य को बर्बाद नहीं होने देंगे. हर बम का माक़ूल जवाब दिया जाएगा. हमारे पास हाथ, तीर धनुष और लालटेन है. हर परिस्थिति का जमकर मुक़ाबला करेंगे.
राज्यपाल एटम बम फोड़ें या टाइम बम, सरकार डरने वाली नहीं : अनूप सिंह
कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल (अनूप सिंह) ने कहा कि राज्यपाल का बयान पूरी तरह से गैर जिम्मेदराना है. यह एक तरह से जनता को गुमराह करने और झारखंड को तितर बितर करके किसी एक पार्टी को फायदा पहुंचाने जैसा प्रतीत होता है. जनता इसका जवाब बखूबी देगी. उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग से जो पत्र उन्हें तीन माह पहले मिल चुका है, उसे उन्हें सार्वजनिक करते हुए कार्रवाई करना चाहिए. अगर उन्होंने दोबारा आयोग से मंतव्य मांगा है तो उन्हें इसका इंतजार करना चाहिए. राज्यपाल एटम बम फोड़ें या टाइम बम, उससे कोई भी चुनी हुई सरकार डरने वाली नहीं है.
लगता है, राज्यपाल दिल्ली के नुमाइंदे हैंः सुबोधकांत सहाय
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय का कहना है कि ऐसा लग रहा है कि वे (राज्यपाल) दिल्ली के नुमाइंदे हैं. इस मामले में अभी तक उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा, लेकिन अब कहना पड़ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि वे भी गृह राज्यमंत्री रह चुके हैं और कई राज्यपालों को नियुक्त किया है लेकिन उनकी मर्यादा का ख्याल रखा है. दरअसल केंद्र सरकार देश के संवैधानिक पदों का मजाक बना कर रही है. निर्वाचन आयोग के मंतव्य को आए तीन महीने होने वाले हैं. इन तीन महीनों में अब उनका बयान आ रहा है और वो भी छत्तीसगढ़ से. यह दुर्भाग्य नहीं तो क्या है?
जन समर्थन है तो भगवान भी क्षति नहीं कर सकतेः समीर मोहंती
झामुमो विधायक समीर मोहंती ने कहा कि यह झारखंडियों के लिए परम सौभाग्य की बात है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में उनका विकास हो रहा है. मुख्यमंत्री के लगातार किए जा रहे जनहित के कार्यों से जहां भाजपा काफी परेशान है, वहीं झामुमो का जनाधार बढ़ा है. ऐसे में अगर सरकार के विरोध में कोई एटम बम गिरता भी है, तो हेमंत सोरेन के समर्थन में आम जनता के बम पटाखा दिखाने से पीछे नहीं रहेगी. जनता का आशीर्वाद हेमंत सोरेन को मिलता है, तो भगवान भी क्षति नहीं कर सकते.
भाजपा के मंसूबों को बेनकाब करेंगेः सुदिव्य कुमार सोनू
झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों से लोकतांत्रिक व्यवस्था यह अपेक्षा रखती है कि उनके निर्णय निश्चित रूप से संविधान के भावना के अनुरुप होंगे. सरकार के खिलाफ यदि ऐसा कोई निर्णय आता है, या भाजपा के दबाव और राजनीतिक दुर्भावना से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जाती है, तो झामुमो कोर्ट का दरवाजा तो खटखटाएगा ही, जनता की अदालत में जाकर भाजपा के मसूंबों को बेनकाब करने में भी पीछे नहीं रहेगा.
हेमंत सरकार को पांच साल का आशीर्वाद है, यह बना रहेगा : तनुज खत्री
झामुमो प्रवक्ता तनुज खत्री ने कहा कि झाऱखंड के लोग तीर-धनुष चलाना जानते हैं. इतिहास गवाह है कि कई बमों का जवाब तीर-धनुष से दिया गया है. आज राज्यपाल निर्वाचन आयोग से दोबारा मंतव्य मांगने की बात करते हैं. दरअसल पहले वाले चुनाव आयोग के मंतव्य में कोई ऐसी बात नहीं है. अगर होगी तो भाजपा चुप नहीं बैठती. भाजपा ही एक ऐसी पार्टी है, जो रातों रात सरकार बनाती और गिराती है. राज्यपाल चाहें कितनी बार आयोग से मंतव्य मांगें, जनता ने हेमंत सरकार को पांच साल का आशीर्वाद दिया है. यह बना रहेगा.
राज्यपाल का पद संवैधानिक है. उनके बयान पर हमारा कमेंट करना उचित नहीं है. ये तो राज्यपाल ही बता सकते हैं कि उनके बयान का संदर्भ क्या था, लेकिन इतना कह सकता हूं कि हेमंत सरकार को निर्भीक होकर अपना काम करना चाहिए.
–सरयू राय, निर्दलीय विधायक
राज्यपाल के पास पत्र आया है. मुख्यमंत्री के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में फैसला लेने का अधिकार राज्यपाल को है. राज्यपाल के बयान और उनके फैसलों पर टिप्पणी नहीं कर सकता. हां इतना कह सकता हूं कि इलेक्शन कमीशन से राज्यपाल को भेजे गये लिफाफे से निकले पटाखे या बम से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहमे हुए हैं. वे पलायन वाली स्थिति में हैं. राज्य में आर्थिक अपराधियों को पकड़ने की शुरुआत हो चुकी है. कोई नहीं बचेगा.
–दीपक प्रकाश, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा
राज्यपाल का पद संवैधानिक है. सीएम के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले को राज्यपाल देख रहे हैं. राज्यपाल के इलेक्शन कमीशन से सेकेंड ओपिनियन मांगने और एटम बम फटने वाले बयान पर मैं कुछ टिप्पणी नहीं कर सकता. ये तो राज्यपाल को ही बता सकते हैं कि कौन सा बम फूटने वाला है.
–आदित्य साहू, राज्यसभा सांसद
संवैधानिक ढांचे के मुताबिक अब तक मामले का फैसला हो जाना चाहिए था. कुल मिलाकर यही लग रहा है कि फैसला मेरिट पर नहीं, राजनीतिक आधार पर लिय़ा जाएगा. सीएम के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले का भाजपा राजनीतिक रूप से इस्तेमाल कर बार्गेनिंग पॉलिसी अपना रही है. राज्यपाल के बयान से लग रहा है कि मानो सरकार को धमका रहे हों. उनका बयान यह संकेत दे रहा है कि नियम और कानून के आधार पर फैसला नहीं आएगा.
–बिनोद सिंह, विधायक, भाकपा माले
राज्यपाल ने चुनाव आयोग से सेकेंड ओपिनियन मांगा है तो निर्वाचन आयोग को तुरंत अपना मंतव्य राजभवन को भेजना चाहिए. आयोग से ओपिनियन मिलने के तुरंत बाद इस मामले का पटाक्षेप भी होना चाहिए ताकि राज्य में बना अनिश्चितता का माहौल समाप्त हो सके.
–लंबोदर महतो, आजसू विधायक
महामहिम रमेश बैस संवैधानिक पद पर बैठे हैं. उन्होंने चुनाव आयोग से सेकेंड ओपिनियन मांगा है तो इसमें कोई न कोई बात जरूर होगी. इतना भरोसा जरूर है कि राज्यपाल वही करेंगे जो विधिसम्मत होगा. नियम-कानून के मुताबिक ही वो कोई फैसला लेंगे.
–अनंत ओझा, भाजपा विधायक