- मुख्यमंत्री पद की अभिलाषा नहीं है, अंतिम सांस तक पार्टी का सेवक रहूंगा
- लाइव लगातार के कार्यक्रम में बोले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश
Ranchi: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने कहा है कि भाजपा को छोड़कर झाविमो में जाना उनके राजनीतिक जीवन की बड़ी गलती थी. कुछ दिनों के लिए झाविमो में गये थे, लेकिन जब गलती का एहसास हुआ तो वापस भाजपा में आ गये. झाविमो में जाना उनकी और बाबूलाल मरांडी की बड़ी भूल थी, जिसका वे आज भी प्रायश्चित कर रहे हैं. दीपक प्रकाश लाइव लगातार के कार्यक्रम ”न्यूजरूम में न्यूजमेकर” में सवालों के जवाब दे रहे थे. मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर पूछे गये सवाल पर दीपक प्रकाश ने कहा कि उन्हें सीएम पद की अभिलाषा नहीं है. मुख्यमंत्री पद न कभी लक्ष्य था और न रहेगा. अंतिम सांस तक पार्टी का सेवक बनकर काम करना चाहते हैं. दीपक प्रकाश ने कार्यक्रम में आये सवालों का बेबाकी से जवाब दिया.
सवाल : क्या आपलोग विधायक खरीदते हैं?
दीपक प्रकाश : जिन दलों को अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है वो भाजपा पर विधायक खरीदने का आरोप लगाते हैं. भाजपा लोकतंत्र में विश्वास करती है. पहले जब कहीं भी हमारी सरकार बनती थी तब विपक्ष के लोग ईवीएम में गड़बड़ी करने का आरोप लगाते थे. अब विधायक खरीदने का आरोप लगा रहे हैं. जहां तक खरीदने-बेचने की बात है तो ये सबको पता है कि झामुमो की सरकार किस उद्योगपति के पैसे से चल रही है.
सवाल : आपके प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी राज्य में हुए चारों उपचुनाव कैसे हार गई ?
दीपक प्रकाश : जिन चार सीटों पर उपचुनाव हुए वे झामुमो-कांग्रेस की सीटिंग सीटें थीं. इनमें से कई विधानसभा सीट पर तो आजादी के बाद आज तक कभी भाजपा नहीं जीती है. भले ही हम उपचुनाव नहीं जीते, लेकिन उस सीट पर 2019 के विधानसभा चुनाव और फिर हुए उपचुनाव में हार का अंतर देख लीजिए. हमने उपचुनाव में हार के फासले को कम किया. सरकार ने उपचुनाव जीतने के लिए कई प्रपंच भी किए. भाजपा कार्यकर्ताओं पर झूठे केस किये गये. हमें जिले से बाहर कर दिया गया. उपचुनावों में हम उनके अखाड़े में जाकर लड़े थे और उन्हें चुनौती दी थी.
सवाल :1932 का खतियान बड़ा मुद्दा है, जिनके पास 32 का खतियान नहीं वो झारखंड छोड़कर चला जाए क्या?
दीपक प्रकाश : 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता पर एक बड़ी बहस की गुंजाइश है. सरकार में बैठे लोग 1932 के नाम पर सिर्फ राजनीति कर रहे हैं. यह एक ऐसा झुनझुना है जो बज नहीं सकता. हम अपने माथे पर 1932 का पट्टा तो लगाकर नहीं घूम सकते. स्थानीयता का संबंध नियोजन नीति से होना चाहिए था, लेकिन मुख्यमंत्री ने जनता को दिग्भ्रमित करने का काम किया है. स्थानीयता के इसी मॉडल को बाबूलाल मरांडी की सरकार ने भी लाया था. उस समय 1932 का हश्र हमने देखा है. यह सरकार अगर बिना कानून सम्मत चीज लेकर आएगी तो कोर्ट में नहीं टिक पाएगा. उनके दल के विधायक लोबिन हेंब्रम और सांसद गीता कोड़ा ही स्थानीय नीति पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
सवाल : झारखंड में कुर्मी आंदोलन चल रहा है. इसपर भाजपा का क्या स्टैंड है?
दीपक प्रकाश : कुर्मी समाज ने अपने अधिकार की बात सरकार के सामने रखी है. अहिंसात्मक तरीके से समाज अपनी बात कर रख रही है. उनके आंदोलन को समर्थन देने के सवाल पर भाजपा विचार करेगी.
सवाल : राजनीति के दौरान आखिर ऐसा क्या हुआ था कि आपने कपड़े की दुकान खोल ली थी?
दीपक प्रकाश : हर इंसान को जीवन-यापन के लिए कोई न कोई काम करना चाहिए. अगर आप जीविका का उपाय नहीं करेंगे तो संगठन को प्रदूषित करने का काम करेंगे. इसलिए मैंने व्यवसाय शुरू किया. फिलहाल दवा के व्यवसाय में हूं.
सवाल : आप कहते हैं कि इस सरकार में 5700 दुष्कर्म हुए. क्या रघुवर सरकार में दुष्कर्म नहीं होते थे?
दीपक प्रकाश : अभी झारखंड में राज्य संपोषित अपराध हावी है. अपराधियों को शासन चलाने वालों का संरक्षण प्राप्त है. यह पहली सरकार है जिसने अपराधियों को संरक्षण देने का काम किया है. पिछली सरकारों में ऐसी घटनाएं होती थी. उसके नियंत्रण के लिए सरकार योजनाएं बनाती थी, लेकिन यह सरकार तो कहती है कि कोरोना के कारण इस तरह की घटनाएं घट रही हैं.
सवाल : 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा आदिवासी सुरक्षित सिर्फ दो ही सीटें क्यों जीत पाई?
दीपक प्रकाश : पिछले चुनाव में सिर्फ दो आदिवासी सीटें जीतने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि हम वहां तक नहीं पहुंच पाये थे. दूसरी बात यह कि विपक्ष ने उन क्षेत्रों में कुछ बातों को लेकर भ्रांतियां फैलाई थी. इससे भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा. हमने फिर से सभी आदिवासी सीटों को जीतने की योजना बनाई है. भाजपा द्वारा आयोजित आदिवासी सम्मेलन में 35000 आदिवासी समुदाय के लोग आये थे. आदिवासी समाज अब हेमंत सरकार को अच्छे से समझ चुका है.
सवाल : आपने राज्यसभा में अनिवार्य मतदान विधेयक लाया था. यह आइडिया कहां से आया था?
दीपक प्रकाश : अच्छा प्रत्याशी चुनने के लिए मतदान का प्रतिशत बढ़ना जरूरी है. अक्सर हम देखते हैं कि 55 से 60 फीसदी ही मतदान कई जगहों पर होती है. इसे लेकर मैंने रिसर्च किया. देखा कि कई देशों में मतदान अनिवार्य कर दिया गया है. तब जाकर मैंने संसद में प्राइवेट बिल पेश किया. मोदी सरकार ने भी इसे गंभीरता से लिया. राष्ट्रपति ने भी इसे स्वीकृत कर लिया है.
सवाल : बाबूलाल मरांडी परिपक्व नेता बन गये हैं. क्या वे सीएम बनाना चाहते हैं?
दीपक प्रकाश : बाबूलाल मरांडी पहले भी परिपक्व नेता थे और आज भी हैं. उनमें संगठनात्मक कार्य करने की दक्षता है. एक सफल नेता और कार्यकर्ता के रूप में भी काम कर चुके हैं. अगले विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा की सरकार तो बनेगी, लेकिन सीएम कौन होगा यह तो केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा.
सवाल : गठबंधन को लेकर क्या रणनीति है?
दीपक प्रकाश : आजसू को बेहतर गठबंधन मानता हूं. आजसू और भाजपा ने साथ मिलकर आंदोलन किया. दोनों पार्टियों ने कभी आंदोलन नहीं बेचा. अटल जी ने भी साबित किया है कि गठबंधन की सरकारें अच्छी होती हैं.
सवाल : चर्चा है प्रदेश अध्यक्ष के रूप में आपको एक और कार्यकाल मिलने वाला है. शीर्ष नेतृत्व से कोई संदेश या संकेत मिला है क्या?
दीपक प्रकाश : मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूं. केंद्रीय नेतृत्व जिस दिन तक कहेगा तब तक संगठन की सेवा करूंगा. भाजपा को अपनी मां समझता हूं. मुझे जो भी जिम्मेदारी मिलेगी उसका पूरी ईमानदारी और निष्ठा से निर्वहन करूंगा.