Rupam Kishore Singh
Dumka : दुमका (Dumka) के पत्थर व्यवसायियों के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई के बाद से जिले में स्टोन चिप्स की भारी किल्लत हो गई है. इसकी वजह से जिले में सड़कों का निर्माण और मरम्मत के लगभग सारे प्रोजेक्ट ठप्प हो गए हैं. यहां तक कि दुमका-बासुकीनाथ पथ की मरमम्त ठीक से नहीं होने से सावन में बासुकीनाथ धाम जाने वाले कांवरियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा. जिले के चार हॉट मिक्स प्लांट में सन्नाटा पसरा हुआ है. वहीं, स्टोन चिप्स, डस्ट आदि के दाम तीन गुना तक बढ़ जाने से निजी मकानों का निर्माण भी प्रभावित हुआ है. लोग मैटेरियल की कीमत घटने की आस में मकान नहीं बनवा पा रहे हैं.
दर्जनों सड़कों का निर्माण कार्य रुका
स्टोन चिप्स, डस्ट, मेटल व डब्ल्यूएमबी-जीएसबी मैटेरियल नहीं मिलने से जिले में सड़कों का काम या तो बंद है, या फिर काफी धीमा है. इसमें जिले की सबसे महत्वपूर्ण एनएच 114 ए के तहत दुमका से बासुकीनाथ जाने वाली सड़क भी शामिल है. वहीं, पथ निर्माण विभाग की ओर से रामपुर से कुरूआ, गोविंदपुर-साहिबगंज रोड में अमड़ापाड़ा तक, सरडीहा-बासुकीनाथ रिंग रोड, गुहियाजोरी-रामगढ़ रोड सहित दर्जनों सड़कों का निर्माण कार्य ठप है. इसके अलावा कई पुलों का निर्माण भी स्टोन चिप्स के अभाव में रुका हुआ है. इसी प्रकार दुमका शहर के बड़ा बांध तलाब व सिदो-कान्हू चौक का सौंदर्यकरण भी नहीं हो पा रहा है.
कारोबारियों ने बढ़ा दी मैटेरियल की कीमत
मौके का फयदा उठाते हुए कुछ पत्थर व्यवसायियों ने बिल्डिंग मैटेरियल की कीमतें बढ़ा दी है. स्टोन चिप्स तीन गुने दाम पर बेच रहे हैं. डस्ट, बोल्डर सहित अन्य निर्माण सामग्री की कीमत मई के बाद से लगातार बढ़ रही है. इससे काम कराने वाले ठेकेदारों के पसीने छूटने लगे हैं. एक तो सामग्री का टोटा और यदि मिल भी रही है, तो उसकी कीमत आसमान पर है. लिहाजा वे अभी काम कराना नहीं चाह रहे. स्थिति सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं.
450 में मिलने वाला स्टोन चिप्स अब 1400 रुपए प्रति टन
जिले में सबसे अधिक 5×8 आकार के स्टोन चिप्स की डिमांड है. 20 एमएम वाले स्टोन चिप्स की कीमत पहले 420 से 450 रुपए प्रति टन थी. शिकारीपाड़ा, काठीकुंड व गोपीकांदर की क्रशर मंडी में 20 मई तक स्टोन चिप्स इसी भाव में बिकते थे. मई के बाद इनकी कीमत 1400 रुपए प्रति टन हो गई है, कीमत बढ़ने से बिहार के कारोबारी बंगाल की मंडियों की ओर रूख करने लगे हैं.
क्रशर बंद होने से हजारों आदिवासी परिवार बेरोजगार
दुमका कहने को तो झारखंड की उप राजधानी है, पर यहां कोई उद्योग धंधा नहीं है. ग्रामीण आदिवासी शिकारीपाड़ा, काठीकुंड व गोपीकांदर के क्रशर प्लांटों में मजदूरी कर परिवार पालते हैं. लेकिन सरकार की दबिश के बाद जिला प्रशासन ने ज्यादातर क्रशर प्लांटों को सील कर दिया है. पत्थर खदानों में उत्पादन ठप हो जाने से पहले जहां रोज हजारों ट्रक स्टोन चिप्स दुमका से बाहर स्पलाई होता था, अभी स्टोन चिप्स लदे इक्का-दुक्का ट्रक ही नजर आते हैं. इससे हजारों आदिवासी परिवार बेरोजगार हो गए हैं. यदि यही स्थिति रही, तो आने वाले समय में बेरोजगारी यहां की बड़ी समस्या बन सकती है.
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