Ranchi : रांची हाईकोर्ट के पास उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब करीब 200 लोग सफेद कपड़ों में हाई सिक्योरिटी जोन में स्थित हाईकोर्ट के पास जमने लगे. अचानक से पहुंचे इतने सारे लोगों को देख पुलिस-प्रशासन भी सक्रिय हो गई. हाईकोर्ट के गेट के एकदम सामने पहुंचकर ये लोग पत्थलगड़ी करना चाहते थे. पत्थलगड़ी के लिए पत्थर भी लाया गया था. पुलिस ने सभी लोगों को समझा-बुझाकर वापस भेज दिया. ये लोग खुद को पड़हा व्यवस्था से जुड़े कुड़ुख नेशनल काउंसिल के सदस्य बता रहे थे. झारखंड के पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में अनुसूचित क्षेत्रों के प्रावधानों को लागू करने की मांग भी कर रहे थे. मौके पर चार जिलों के लोग पहुंचे थे, जिसमें पश्चिम सिंहभूम, गुमला, खूंटी और सिमडेगा के लोग शामिल थे. प्राप्त सूचना सूचना के अनुसार समर्थक कल राज्यपाल से मिलेंगे और फिर से पत्थलगड़ी का कर सकते हैं प्रयास.
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71 सालों तक छिपाई गई अधिकार की बात
काउंसिल के धनेश्वर टोप्पो ने कहा कि आदिवासियों को संविधान की 5वीं अनुसूची के तहत आदिवासी प्रशासन और नियंत्रण का अधिकार राष्ट्रपति द्वारा दिया गया है. साथ में संविधान आदेश -229 भी है, जो प्रधानमंत्री, लोकसभा, विधानसभा, सुप्रीम कोर्ट और राज्यपाल से भी बड़ा अधिकार क्षेत्र है. इसे काटने की क्षमता, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को भी नहीं है. इसे 71 सालों से छिपाकर रखा गया था, जिसका पर्दाफाश हो चुका है.
बात नहीं बनी तो होगा बड़ा प्रदर्शन
काउंसिल सदस्यों ने कहा कि संविधान प्रदत्त अधिकारों को लागू करने के मकसद से हमलोग हाईकोर्ट के सामने संविधान की पत्थलगड़ी करने पहुंचे थे. प्रशासन के मना करने पर हमलोग शांतिपूर्वक वापस आ गये. अब आदिवासी क्षेत्रों में पूरे शासन प्रणाली को आदिवासियों के हाथ में करना है. कहा कि आदिवासियों का मूलभूत अधिकार भारत में छोड़ कर विश्व के सभी देशों में लागू है, लेकिन ये मूलभूत अधिकार भारत को छोड़कर विश्व के सभी देशों में लागू है. जो हम सबों की अज्ञानता के कारण धरातल पर लागू नहीं हो सका है. काउंसिल सद्स्यों ने कल राज्यपाल से मुलाकात करने की बात कही है. कहा कि अगर बात नहीं बनी तो जल्द ही 50 हजार लोग राजधानी में आकर प्रदर्शन करेंगे.
जानिए क्या लिखा है पत्थर में
राज्य में पांचवीं अनुसूची लागू करने का मामला गरमाता जा रहा है. झारखंड उच्च न्यायलय के समक्ष पांचवीं अनुसूची लागू करने की मांग के साथ पत्थलगड़ी करने विभिन्न जिलें से लोग पहुंचे.
पत्थलगड़ी समर्थक जो पत्थर लेकर आये थे, उसमें क्या लिखा था (जो पत्थर में लिखा था उसका हिंदी अनुवाद)
1.(i) इस आदेश को शेड्यूल्ड एरिया ऑडर 2007 कहा जा सकता है.(ii) इसे एक बार ही लागू किया जाएगा.
2. झारखंड राज्य के निम्न जिले शेड्यूल्ड एरिया के तहत आएंगे – रांची, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, लातेहार, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला, खरसावां, साहिबगंज, दुमका, पाकुड़ और जामताड़ा.
इन शेड्यूल्ड जिलों में लागू किये गए कानून मान्य हैं. राज्य के शासनात्मक शक्ति इन जिलों में मान्य नहीं है. शेड्यूल्ड जिलों में नागरिक के लिए राइट टू फ्रीडम मान्य नहीं है.
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