New Delhi : पेगासस जासूसी कांड पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से नाराजगी जतायी है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि आखिर केंद्र सरकार इस मामले पर क्या कर रही है? सोमवार को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि वह जांच के लिए पैनल बनाने को तैयार है, लेकिन एफिडेविट दाखिल नहीं करेगी. केंद्र सरकार ने इसका कारण यह बताया है कि ऐसे मामलों में एफिडेविट दाखिल नहीं किया जा सकता. लेकिन वह जासूसी के आरोपों की जांच के लिए पैनल गठित करने को राजी है. फिलहाल कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. अगले 2-3 दिनों में इसपर आदेश सुनाया जाएगा. फिलहाल कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. अगले 2-3 दिनों में इसपर आदेश सुनाया जायेगा.
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चीफ जस्टिस ने दिखायी सख्ती
सोमवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस रमना ने इस मामले में सख्ती भी दिखायी. उन्होंने कहा कि कोर्ट जानना चाहता है कि आखिर सरकार इस मामले पर क्या कर रही है. दरअसल, इससे पहले की सुनवाई में केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल करने के लिए दो बार वक्त लिया था, लेकिन अब उसने सीधे तौर पर इनकार कर दिया. सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. कहा गया कि पेगासस जासूसी मामले में एसआईटी गठित होगी या न्यायिक जांच होगी इसपर फैसला लिया जाएगा.
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सरकार ने कहा- पब्लिक डोमेन का मामला नहीं है
सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जासूसी के लिए किसी खास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ या नहीं, यह पब्लिक डोमेन का मामला नहीं है. इस मामले की स्वतंत्र डोमेन विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा जांच की जा सकती है और इसे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जा सकता है. वहीं, कोर्ट में याचिकाकर्ता पत्रकार एन राम की तरफ से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह जवाब दे क्योंकि नागरिकों की निजता का संरक्षण करना सरकार का कर्तव्य है. उन्होंने कहा स्पाइवेयर का इस तरह इस्तेमाल पूरी तरह अवैध है.