NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को कहा कि वह 2016 में केंद्र सरकार द्वारा पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों को चलन से बाहर(नोटबंदी)करने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं के अकादमिक होने पर विचार करेगा. इसके साथ ही न्यायालय ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 12 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया.
#UPDATE | Supreme Court Constitution Bench says it will hear on October 12 pleas challenging the Centre’s 2016 decision to demonetize currency notes of Rs 500 & 1,000 https://t.co/VecHJ3Ni5H pic.twitter.com/zPH5TWJoEQ
— ANI (@ANI) September 28, 2022
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यह मामला विचार करने योग्य है भी या नहीं!
सुनवाई शुरू होने के साथ ही न्यायमूर्ति एसए नजीर की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने कहा कि वर्तमान में यह मामला विचार करने योग्य है भी या नहीं. केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह मामला किसी भी दृष्टि से विचार करने योग्य नहीं है. उन्होंने कहा कि इसे एक अकादमिक प्रक्रिया के तहत सुना जा सकता है.
इस पर पीठ ने कहा, पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ इन याचिकाओं को अकादमिक प्रक्रिया मानकर इन पर कैसे विचार कर सकती है, वह भी तब जब हमारे पास इतने सारे मामले लंबित हैं.
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इस पर सुनवाई की जानी चाहिए या नहीं
पीठ ने कहा, हम सुनवाई की तारीख 12 अक्टूबर तय करते हैं. हम यह निर्धारित करेंगे कि यह अकादमिक है या नहीं और इस पर सुनवाई की जानी चाहिए या नहीं. संवैधानिक पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना, न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना भी शामिल रहे.
पीठ ने 58 याचिकाओं पर सुनवाई की
पीठ केंद्र के आठ नवंबर, 2016 के उस निर्णय को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पांच सौ और एक हजार के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था. भारत के तत्कालीन CJI टीएस ठाकुर ने सरकार के निर्णय की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पांच न्यायाधीशों की पीठ को सौंप दिया था.