इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी मदरसा एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार दिया था, यूपी में संचालित लगभग 16 हजार मदरसों की मान्यता योगी सरकार ने खत्म कर दी थी
New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर आज शुक्रवार को अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 को असंवैधानिक और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला करार दिया गया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मदरसा ऐक्ट को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह असंवैधानिक है और सेकुलरिज्म के खिलाफ है. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
#WATCH | Lucknow: On SC putting a stay on HC judgement of striking down ‘UP Board of Madarsa Education Act 2004’ as unconstitutional, UP Minister Danish Azad says, “We all will study the decision of the SC. And whatever guidelines we have received for Madarsa education, we will… pic.twitter.com/6WUl2Br4Ny
— ANI (@ANI) April 5, 2024
VIDEO | Here’s what senior advocate and Congress leader Salman Khurshid said on the Supreme Court’s interim stay on Allahabad HC order on UP Board of Madarsa Education Act.
“It’s a far-reaching position that the Supreme Court has taken examining the purpose of Madarsa board, the… pic.twitter.com/O4a7FMITN6
— Press Trust of India (@PTI_News) April 5, 2024
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी मदरसा एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार दिया था
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ मदरसा अजीजिया इजाजुतूल उलूम के मैनेजर अंजुम कादरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. 22 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी मदरसा एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार दिया था, इसके बाद यूपी में संचालित लगभग 16 हजार मदरसों की मान्यता योगी सरकार ने खत्म कर दी थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट से मदरसा संचालकों को बड़ी राहत मिल गयी है.
उच्च न्यायालय ने 2004 के अधिनियम के प्रावधानों के गलत अर्थ निकाले.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिकाओं पर केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया है. पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं.पीठ ने कहा, मदरसा बोर्ड का उद्देश्य नियामक सरीखा है और प्रथम दृष्टया इलाहाबाद उच्च न्यायालय की यह बात सही नहीं प्रतीत होती कि बोर्ड का गठन धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय ने 2004 के अधिनियम के प्रावधानों के गलत अर्थ निकाले.
तीन जजों की बेंच ने केंद्र सरकार और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 22 मार्च को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 को असंवैधानिक और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला करार दिया था. उच्च न्यायालय ने साथ ही राज्य सरकार को वर्तमान छात्रों को औपचारिक स्कूल शिक्षा प्रणाली में समायोजित करने को कहा था. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.