LagatarDesk : कभी मम्मी के कपड़े-सैंडल पहन ठुमकती बिटिया तो कभी तोतली बोली से अपनी अदा दिखाती लाडो…फिजा में इससे ज्यादा मासूम और खूबसूरत भला क्या होगा. बिटिया की बालसुलभ बातों में सबकुछ बेहद धुला-धुला सा साफ नजर आता है. पर इन दिनों बिटिया की थिरकन पैरेंट्स की आंखों में बेशुमार प्यार के साथ खौफ भी जगा देती. लाडो को तो पता भी नहीं कि उसके साथ क्या-क्या और किस हद तक बुरा हो सकता है. उसकी भोली अदाएं जो हमें मुग्ध करती हैं, कब किसी भेड़िए की नजर में आ जाये. बेशक आसान नहीं, पर समय की मांग है कि बच्चों को छोटी उम्र से ही गुड टच और बैड टच के बारे में हम जानकारी दें. याद रखें, यौन शोषण केवल बेटियों का नहीं होता. बेटे भी इसके शिकार होते हैं.
बच्चों के खिलाफ अपराध 10 सालों में 351 प्रतिशत बढ़े
नेशनल क्राइम ब्यूरो के वर्ष 2021 की रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीते साल बच्चों के खिलाफ अपराध के 149,404 केस आये. क्राई (चाइल्ड राइट्स एंड यू -एनजीओ) के मुताबिक, वर्ष 2011 से 2021 के बीच बच्चों के खिलाफ अपराध में 351 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से जून 2022 तक देश में कुल 7,595 बच्चे यौन शोषण का शिकार हुए हैं. 85 प्रतिशत मामलों में यौन शोषण नजदीकी रिश्तेदार करते हैं. इनमें केवल एक चौथाई मामले ही सामने आते हैं. ज्यादातर मामले बिना राहत-मलहम के मौन की शिला तले दबा दिये जाते हैं. आंकड़ों की बात करें तो केवल तीन प्रतिशत मामलों में ही एफआईआर दर्ज होता है.
अपने बच्चों से खूब कीजिए बातें
बच्चों का स्कूल, ट्यूशन, हॉबी क्लास की व्यस्त शेड्युल है तो आपकी भी व्यस्तता उतनी ही. नियमित काम के बाद काफी समय तो फोन और टीवी खा जाता है. जबकि संवाद का टॉनिक सबसे जरूरी है. बच्चों से ढ़ेर सारी बातें करें. इसका भी एक खास तरीका है. अगर आप बिटिया से पूछेंगे कि आज का दिन कैसा रहा तो शायद वह अच्छा कहकर चुप हो जाये. बेहतर हो कि पहले आप अपने दिन भर की गतिविधि, अपने अनुभव उससे साझा करें. शायद तब वह अपने भी कुछ छोटे-छोटे अनुभव आपको बताये. जब वह बोले तो रुचि के साथ उसकी बातें सुनें. तब मोबाइल, मैग्जीन-पेपर या रसोई का कोई काम करती व्यस्त न रहें. साथ ही इस दौरान उपदेश या नसीहत देने से बचें. यदि प्रसंगवश कुछ नसीहत देना भी चाहते हैं तो तुरंत बाद ना दें. बाद में हल्की फुल्की बातों के क्रम में अपनी बात कहें. बच्चों के दिल में यह बात जरूर बैठा दें कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, आप उनके साथ हैं.
स्वीमिंग सूट के जरिए गुड टच और बैड टच समझाएं
केवल प्यार की भाषा समझने वाले बच्चों को गुड टच और बैड टच समझाना कितना मुश्किल होता है, यह छोटे बच्चों वाली हर मां समझती है. पर मासूम से बच्चों को गंदी निगाहों से बचाने के लिए यह समझाना बेहद जरूरी है. इन दिनों यू ट्यूब पर कई वीडियो मिल जाते हैं, जो तितलियों, फूलों और जानवरों के जरिए बहुत सलीके से इसके बारे में बच्चों को बताते हैं. कुछ साल पहले आमिर खान का भी एक वीडियो काफी पसंद किया गया था. बहुत सिंपल अंदाज में आम स्विमिंग सूट दिखाते या पहनाते बच्चों को बता सकती हैं कि शरीर का जितना हिस्सा स्विमिंग सूट कवर करता है, वह हमारा बेहद पर्सनल हिस्सा है. या फिर यह कि अंडर गार्मेंट के भीतर का हिस्सा हमारा बेहद पर्सनल हिस्सा है. इसे डॉक्टर या मां के अलावा और कोई टच नहीं कर सकता है. डॉक्टर भी केवल मम्मी-पापा के सामने ही इन अंगों को छू सकते हैं. अगर कोई इन अंगों को छूता है तो विरोध करें, हल्ला मचाये और उस जगह से निकल कर सुरक्षित जगह पर जायें.
बच्चे को बॉडी पार्ट्स की दें जानकारी
बच्चों की मासूमियत का आनंद उठाते हुए कई बार हम उन्हें शरीर के बारे में सही जानकारी नहीं देते हैं. कई बातों को कहते समय झिझक भी सामने आती है. अपने बच्चे को शरीर के अंगों के बारे में सही जानकारी दें. उनके सही नाम बताएं. बढ़ती उम्र के बच्चों को शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में भी बताएं. प्राइवेट पार्ट के बारे में बताएं और कहें कि मजाक में भी इन हिस्सों पर गुदगुदी करना गलत है. यह बैड टच है, जिसका विरोध करना है. यह भी स्पष्ट बताएं कि गलत करने वाला बुरा है, जिसके साथ बुरा किया गया वह नहीं. विरोध करना सीखाने के साथ बच्चे को इतना आश्वस्त करें कि हर गलत के बारे में वह आपको बताएं.
अपनों से भी है बच्चों को खतरा
बचपन से ही हम बच्चों को सिखाते हैं कि अनजान से खाने-पीने का सामान मत लो, उनसे बचो. पर जब हम आंकड़ों की तरफ देखते हैं तो ऐसे मामलों में ज्यादातर गुनाहगार पड़ोसी, चाचा, मामा या और कोई रिश्तेदार ही नजर आता है. बच्चों को बताएं कि किसी रिश्तेदार की गोद असहज लगती है तो बिल्कुल नहीं जाये. इसी तरह कोई जबर्दस्ती किस करे या कहीं चलने को कहे, तो मना करना है, यह बात भी बच्चों के सामने स्पष्ट रहे. जरूरत पड़ने पर चिल्ला कर लोगों का ध्यान आकर्षित करें. इस मामले में पेरेंट्स को भी खुद की नजर तेज रखनी चाहिए. इनदिनों दोस्तों के घर ठहरने, रात में साथ पार्टी करने या पढ़ाई करने की ट्रेंड बढ़ रही है. इस मामले में परहेज बेहतर है.
यदि कोई कोच, कोई टीचर या रिश्तेदार बच्चों की भीड़ में आपके बच्चे को खास बताता है, तब भी आपका सतर्क होना जरूरी है. देखा गया है कि किसी बच्चे को शिकार बनाने के लिए भी उसे स्पेशल बता कर उसका साथ पाने की कोशिश की जाती है. यह कटु सत्य है कि सिंगल मदर्स के बच्चे भी ऐसे लोगों के सॉफ्ट टार्गेट होते हैं. यौन शोषण करने वाला कई बार बच्चों को यह कह कर गुमराह करता है कि यह हम दोनों के बीच का सीक्रेट है. इसे पैरेंट्स को बताने पर वे नाराज भी हो सकते हैं. बच्चों को बताएं कि कोई भी बात पैरेंट्स से छुपाने की नहीं होती है. दुनिया में पैरेंट्स से अधिक आपके नजदीक कोई भी नहीं हो सकता है. किसी को भी इतना हक नहीं है कि वह पैरेंट्स से कोई बात छिपाने के लिए बच्चों को कहे.
सही नहीं अधिक संरक्षण
मनोवैज्ञानिक तौर पर यह साबित हो गया है कि डब्बू बच्चों का अधिक शोषण होता है. बच्चों को जरूरत से ज्यादा संरक्षण ना दें. उम्र के साथ साहस भरे निर्णय लेने से वे आत्मविश्वासी बनेंगे. उन्हें मार्शल आर्ट जैसी ट्रेनिंग जरूर दिलाएं. ऐसे में वे बिना हथियार या बड़ों की मदद के भी विपरीत परिस्थिति में संघर्ष का साहस रखेंगे.
जरूरी है व्यवहारिकता
बेटियां कई बार जरूरत से ज्यादा भावुकता पाल लेती हैं. पल भर में मायूस हो जाना, बात बात पर रो देना…बेटियों की ऐसी आदतों को अधिक बढ़ावा नहीं दें. उसे भीतर से मजबूत बनाएं. तार्किक ढंग से किसी बात को समझ कर व्यवहारिक कदम उठाये, इसके लिए प्रोत्साहित करें.