टेलिफोनिक सर्वे में कई खामियां भी उजागर
Ranchi: सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं तो बहाल कर दी गयी हैं, लेकिन मरीजों को इसका वास्तविक लाभ मिल पा रहा है या नहीं, स्वास्थ्य विभाग ने इसकी पड़ताल की है. इस प्रक्रिया के तहत कॉलिंग हेल्थ एजेंट के माध्यम से अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराने वाले मरीजों और उनके परिजनों को बारी-बारी से कॉल कर जानकारी जुटायी गयी. आंकड़े एक अगस्त से नवंबर के बीच के हैं. जिनमें प्रत्येक लाभुकों के साथ कॉल कर टेलिफोनिक सर्वे कर उनसे आंकड़े जुटाये गये हैं. अस्पताल में भर्ती मरीजों से बातचीत कर उनसे प्रतिक्रिया ली गयी है. इसके तहत कॉलिंग हेल्थ एजेंट के माध्यम से कुल 28 विभागों का सर्वे किया गया था. इस संबंध में संबंधित ग्राम प्रधान-मुखिया से लेकर विधायक और सांसदों तक से प्रतिक्रिया ली गयी है. मुखिया ने 108 एंबुलेंस को लेकर तो वहीं, सांसद ने एंटी रैबिज की उपलब्धता को लेकर अपनी प्रतिक्रिया को दर्ज कराया. इस आंतरिक रिपोर्ट को तैयार कर उसे विभागीय अधिकारियों को सौंपा गया है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक ने जिला के चिकित्सा पदाधिकारियों को इस संबंध में पत्र लिखा है.
कैटरैक्ट अभियान संचालन में मिली कई खामियां
कैटरैक्ट अभियान संचालन से संबंधित प्रतिक्रिया में कई खामियां उजागर हुई है. इसमें कैटरेक्ट मरीजों के 25% परिजनों को भोजन नहीं उपलब्ध कराया गया. जबकि, स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी कैटरेक्ट ऑपरेशन के मरीजों और उनके परिजनों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए जरूरी फंड मुहैया कराया जाता है.
टीबी मरीजों को नहीं होता प्रोत्साहन राशि का भुगतान
स्वास्थ्य विभाग के कॉलिंग हेल्थ एजेंट को टीबी मरीजों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किये. सर्वे में जो जानकारी निकलकर सामने आयी उसमें बताया गया कि महज 32% लाभुकों को ही इलाज के लिए प्रोत्साहन राशि मिलता है. केवल 7% लाभुक के द्वारा कहा गया कि वे टीबी से संबंधित सभी सामान्य लक्षणों को पहचानते हैं. भर्ती मरीजों ने चिकित्सकों के भ्रमण पर जोर दिया.
इस सर्वे रिपोर्ट में वार्डों के अंदर भर्ती मरीजों ने कम-से-कम दो बार चिकित्सकों का भ्रमण करने पर जोर दिया. मरीजों ने भोजन की गुणवत्ता में भी सुधार की आवश्यकता बताई. हालांकि, 70% से अधिक लोगों का मत था कि अस्पताल में साफ-सफाई, चिकित्सकों के बर्ताव, दवा और जांच की उपलब्धता को संतोषजनक बताया.