Ranchi : टेरर फंडिंग मामले में एनआईए के द्वारा दाखिल की गयी दूसरी चार्जशीट में ट्रांस्पोर्टर विनीत अग्रवाल को तीसरा अभियुक्त बनाया गया है. महेश अग्रवाल और सोनू अग्रवाल के बाद अब अपने तीसरे अंक में हम विनीत अग्रवाल से जुड़े तथ्यों को प्रकाशित कर रहे हैं. खबर की इस कड़ी में हम आपको बता रहे हैं कि कैसे नक्सली संगठन टीपीसी को न सिर्फ मगध आम्रपाली प्रोजेक्ट में काम करने वाली कंपनियों ने लेवी के रूप में नकद राशि दी, बल्कि अन्य व्यवसायियों से लेवी लेने और उस लेवी की राशि का उठाव अपने माध्यम से करवाने का सिस्टम डेवलप किया.
आतंकवादी गिरोह के लिए फंड जुटाने की प्लानिंग की
विनीत अग्रवाल की भूमिका भी टेरर फंडिंग मामले में काफी संदिग्ध है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए द्वारा दाखिल की गयी दूसरी चार्जशीट के मुताबिक विनीत मैसर्स बीकेबी ट्रांसपोर्ट के वाइस प्रेजिडेंट हैं और इन्होंने 30 लाख रुपये का भुगतान नक्सली आक्रमण गंझू सहित टीपीसी के अन्य सदस्यों को लेवी के रूप में नकद राशि दी है. चार्जशीट में इस बात का भी उल्लेख है की मौखिक साक्ष्य स्थापित करते हैं कि विनीत अग्रवाल ने आतंकवादी गिरोह के सदस्यों, टीपीसी और अन्य के साथ मिलीभगत की और टीपीसी जो कि एक प्रतिबंधित नक्सल गिरोह है उसके सदस्यों के साथ आपराधिक साजिश करके टीपीसी को मजबूत किया और इसे बढ़ावा दिया. इतना ही नहीं इन पर यह भी आरोप है कि इन्होंने अपने व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रेमविकास उर्फ़ मंटू सिंह और आक्रमण जी के माध्यम से उपरोक्त आतंकवादी गिरोह के लिए फंड जुटाने की प्लानिंग की. एनआईए ने उन्हें आईपीसी की धारा 120 B, 201 और 17 UA(P) एवं 17 और 18 CLA एक्ट की धाराओं में आरोपित बनाया है.
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