Ranchi : कोयला कारोबारी सोनू अग्रवाल उर्फ अमित अग्रवाल को नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआइए) ने टेरर फंडिंग केस का 21वां आरोपी बनाया है. सोनू अग्रवाल की कंपनी मेसर्स श्रीबालाजी ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड को मगध और आम्रपाली प्रोजेक्ट में कोयले का उठाव का काम मिला था. दोनों कोल प्रोजेक्ट चतरा के टंडवा में है. टंडवा का इलाका करीब एक दशक तक उग्रवादी संगठन तृतीय प्रस्तुति कमेटी (टीपीसी) का गढ़ के रुप में जाना जाता रहा है. आज भी इस उग्रवादी संगठन की गतिविधि इस इलाके में है.
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सोनू अग्रवाल ने अपना व्यवसाय चलाने के लिए टीपीसी को लेवी दी
टेरर फंडिंग को लेकर एनआईए ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. चार्जशीट में आरोप है कि सोनू अग्रवाल ने अपने व्यवसाय को चलाने के लिए ग्राम समिति के सदस्यों और टीपीसी को करोड़ों रुपये की लेवी दी. उसने टीपीसी के लिए लेवी वसूली को ऑर्गेनाइज्ड रूप दिया. सोनू अग्रवाल ने ही इस मामले के दूसरे आरोपी सुधांशु रंजन उर्फ छोटू सिंह के साथ मिल कर टीपीसी के लिए लेवी वसूली की साजिश रची. यह काम उसने टीपीसी के जोनल कमांडर आक्रमण गंझू द्वारा लेवी मांगे जाने पर किया.
सोनू अग्रवाल के खिलाफ तथ्य व सबूत मिलने के बाद एनआईए ने आठ अक्टूबर 2018 को सोनू अग्रवाल के ठिकानों पर छापेमारी की थी. एनआइए ने टीपीसी के आम्रपाली-मगध एरिया कमेटी को दी गई लेवी की राशि से संबंधित दस्तावेज, बैंक अकाउंट, फिकस्ड डिपोजिट से संबंधित दस्तावेज, वेली राशि (कांटाघर पर वसूल की जाने वाली राशि) की कटौती, कंप्यूटर, हार्डडिस्क, मोबाइल फोन, विभिन्न कंपनियों के एकाउंट्स, डायरियां, टीपीसी और पीएलएफआई के लिए दी गई राशियों का विवरण, भारतीय मुद्रा में 68 लाख रूपये, दस हजार सिंगापुरी डॉलर, 1300 अमेरिकी डॉलर और 86 हजार रुपये जब्त किए थे. जब रुपये का चलन बंद हो चुका था.
एनआइए ने इस मामले में दाखिल चार्जशीट में कहा है कि टीपीसी को लेवी देने के लिए ऊंची दर पर मगध व आम्रपाली कोल परियोजना से कोयला ढुलाई का ठेका लिया गया था. ताकि जो ज्यादा राशि को वसूल कर टीपीसी को दिया जा सके. इसमें टीपीसी के उग्रवादी आक्रमण ने अनुशंसा की थी और ट्रांसपोर्टर सुधांशु रंजन उर्फ छोटू सिंह को ठेका मिला था. इस तरह कमाई की राशि का बड़ा हिस्सा टीपीसी को जाता था.
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