- जेडब्ल्यूयू में मानविकी संकाय में मनायी गयी प्रेमचंद जयंती
Jamshedpur (Anand Mishra) : जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी के मानविकी संकाय ने हिंदी के दिग्गज लेखक मुंशी प्रेमचंद की जयंती समारोहपूर्वक मनायी. समारोह में साहित्य के क्षेत्र में मुंशी प्रेमचंद के अविस्मरणीय योगदान व पाठकों के मन पर उनके पदचिह्नों को याद करते हुए किया गया. प्रेमचंद के किरदारों की मासूमियत और उथल-पुथल आज भी प्रासंगिक है.
इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर : बढ़ते जल स्तर को देखते हुए मानगो नगर निगम के विभिन्न क्षेत्रों में बनाए गए शिविर
कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित उपन्यासकार और नाटककार जयनंदन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि हर भारतीय प्रेमचंद की कहानियां पढ़कर बड़ा हुआ है. प्रेमचंद की कहानियों का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है और दुनिया भर के 150 से अधिक विश्वविद्यालयों में पढ़ाया गया है. प्रेमचंद की कहानियां समाज का दर्पण हैं. प्रेमचंद मूर्खताओं को उजागर करने वाले एक बहादुर लेखक थे. प्रेमचंद की रचनाएं आज भी दुनिया भर के कई विश्वविद्यालयों में शोध का विषय हैं. प्रेमचंद की रचनाएं साहित्य की उत्कृष्ट कृतियां हैं. क्योंकि यह समय और सीमाओं की कसौटी पर खरी उतरती हैं. प्रेमचंद समानता और सम्मान के समर्थक थे. उन्होंने मजबूत महिला पात्रों को चित्रित किया, जो आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं.
इसे भी पढ़ें : एनडीए बनाम ‘इंडिया’: कौन किस पर भारी
साहित्य समाज का प्रकाश स्तंभ भी : डॉ अंजिला गुप्ता
प्रो (डॉ) अंजिला गुप्ता ने कहा कि साहित्य न केवल समाज का दर्पण है, बल्कि समाज का प्रकाश स्तम्भ भी है. प्रेमचंद की कहानियों ने उस समय सामान्य लोगों को भी नायक/नायिका बनाया. ये वो दौर था जब साहित्य में काल्पनिक लेखन का बोलबाला था. उनके लेखन ने सामाजिक सुधार और पाठकों को सामान्य जीवन के वीरतापूर्ण संघर्षों से अवगत कराया. प्रेमचंद की कहानियां पाठकों की आत्मा को प्रभावित और भावुक करती हैं.
इसे भी पढ़ें : सावधान! इंटरनेट पर प्रसारित रांची इनकम टैक्स में डाटा इंट्री ऑपरेटर के पद पर वैकेंसी की सूचना गलत
मुंशी प्रेमचंद ने आम लोगों को नायक बताया : डॉ सुधीर साहू
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो (डॉ) अंजिला गुप्ता ने की. कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और अतिथियों के अभिनंदन के साथ हुई. स्वागत भाषण हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ पुष्पा कुमारी ने किया. मानविकी के डीन डॉ सुधीर कुमार साहू डीन ने प्रेमचंद की उम्र से बड़ी साहित्यिक देन और 19वीं सदी के आखिरी दशकों और 20वीं सदी के शुरुआती दौर के साहित्य और प्रेमचंद के योगदान की चर्चा की. उन्होंने बताया कि मुंशी प्रेमचंद ने 1914 से पहले उर्दू और फिर हिंदी में लिखना शुरू किया और आम लोगों को नायक बताया. उन्होंने उनके वीरतापूर्ण रोजमर्रा के संघर्षों का वर्णन किया.
इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर : सरयू राय ने विधानसभा में उठाया झारखंड के सिखों के सदस्यता का मामला
इस अवसर पर, कहानी कहने का कार्य दरक्षा रहमान, उर्दू विभाग से मलायका वारिस और हिंदी विभाग से तहसीन परवीन ने किया. धन्यवाद ज्ञापन उर्दू विभाग की प्रमुख डॉ रिजवाना परवीन ने किया. समारोह में विश्वविद्यालय के विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, वाणिज्य और मानविकी के डीन, विभागों के प्रमुख, शिक्षक और छात्राएं उपस्थित थे.