UN : चीन के बाद सबसे ज्यादा गेहूं और चावल पैदा करने वाले भारत में 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जिन्हें हेल्दी डाइट नहीं मिल रही है. संयुक्त राष्ट्र की द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड 2022 रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आयी है. यह हालत तब है, जब अमेरिका की फॉरेन एग्रीकल्चर सर्विस (FAS) की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया में सबसे ज्यादा चावल और गेहूं का उत्पादन चीन के बाद भारत में होता है.
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भारत में 13 करोड़ टन चावल और 11 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ
कृषि मंत्रालय के अनुसार 2021-22 में भारत में करीब 13 करोड़ टन चावल और 11 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ था. भारत में नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत गरीबों को सस्ती दरों पर अनाज मिलता है. मार्च 2020 से केंद्र सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ गरीबों को हर माह 5 किलो अनाज मुफ्त दे रही है. योजना सितंबर 2022 तक लागू है. इस पर सरकार 3.40 लाख करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है.
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6 से 14 साल की उम्र के बच्चों को दोपहर का खाना मुफ्त दिया जाता है
इसके अलावा सभी सरकारी स्कूलों में पहली से 8वीं तक पढ़ने वाले या 6 से 14 साल की उम्र के बच्चों को दोपहर का खाना मुफ्त दिया जाता है. इस योजना का नाम मिड-डे मील स्कीम से बदलकर पीएम-पोषण स्कीम कर दिया गया है. पीएम-पोषण के तहत, 2021-22 से 2025-26 तक 1.31 लाख करोड़ रुपये खर्च किये जाने की बात कही गयी है.
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दुनियाभर में 307.42 करोड़ लोगों हेल्दी डाइट नहीं मिल रही
UN की रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक दुनियाभर में 307.42 करोड़ लोग ऐसे थे जिन्हें हेल्दी डाइट नहीं मिल रही थी. इसका मतलब दुनिया की 42 फीसदी आबादी को हेल्दी डाइट नहीं मिल रही है. भारत में हेल्दी डाइट नहीं लेने वालों की बात करें तो यह संख्या 97.33 करोड़ है. इस हिसाब से 70 फीसदी भारतीयों को हेल्दी डाइट नहीं मिल रही है. रिपोर्ट कहती है कि हमसे ज्यादा आबादी चीन की है, लेकिन वहां हेल्दी डाइट नहीं लेने वालों की संख्या भारतीयों की तुलना में 5 गुना कम है. चीन में महज 17 करोड़ से भी कम लोग ऐसे हैं, जिन्हें हेल्दी डाइट नहीं मिल पा रही है.
दुनिया में कुपोषित भारतीयों की संख्या बढ़ गयी है
हालांकि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि भारत में 15 साल में कुपोषित लोगों की संख्या कम जरूर हुई है, लेकिन दुनिया में कुपोषित भारतीयों की संख्या बढ़ गयी है. रिपोर्ट के अनुसार, 2004-06 में 24.78 करोड़ लोग कुपोषित थे, जिनकी संख्या 2019-21 में घटकर 22. 43 करोड़ हो गयी. 2004-06 में दुनियाभर के कुल कुपोषित लोगों में 31फीसदी भारतीय थे, 2019-21 की बात करें तो इस साल कुपोषित भारतीयों की संख्या बढ़कर 32 फीसदी हो गयी.
2 करोड़ से ज्यादा बच्चों का वजन ऊंचाई के हिसाब से कम
अभी भी भारत में 5 साल से कम उम्र के 2 करोड़ से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं, जिनका वजन ऊंचाई के हिसाब से कम है. जबकि, 5 साल से छोटे 3.6 करोड़ से ज्यादा बच्चे ठिगने हैं. पिछले साल नवंबर में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) की रिपोर्ट में बताया गया था कि 6 से 23 महीने के सिर्फ 11.3 फीसदी बच्चे ही ऐसे हैं, जिन्हें पर्याप्त डाइट मिलती है.