Dumka : दुमका समाहरणालय सभागार में नीति आयोग, भारतीय शिक्षण मंडल और झारखंड शिक्षा परियोजना के संयुक्त तत्ववाधान में आयोजित एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका, जागरुकता, अभिविन्यास, चुनौतियां और प्रतिक्रियाओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई. सेमिनार में जरमुंडी के डूमरथर विद्यालय के प्राचार्य डॉ सपन पत्रलेख द्वारा लॉकडाउन में घर-घर में ब्लैक बोर्ड बनाकर बच्चों को पढ़ाने के डूमरथर मॉडल की चर्चा छायी रही. उपायुक्त राजेश्वरी बी ने सभी शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आप सभी को नई ऊर्जा के साथ कार्य करने का मौका देगा.
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सेमिनार में उपायुक्त ने डॉ सपन पत्रलेख की तारीफ की
उन्होंने कहा कि जब शिक्षक बच्चों को प्रकृति के बीच में बाहर पढ़ाते थे तो शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाया जाता था, लेकिन वही लॉकडाउन के दौरान जब सारे क्लास रूम बंद हो गए. तो कुछ शिक्षकों ने बाहर बैठक कर के बच्चों को पढ़ाया तो पूरे देश में उनकी सराहना की गई. समय एक जैसा नहीं रहता है. समय के साथ चीजें बदलती हैं. कभी-कभी तो माता पिता से ज्यादा शिक्षक ही बच्चों के हुनर को पहचानते हैं और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. डा सपन पत्रलेख के लॉकडाउन के दौरान बच्चों को पढ़ाने के लिए किये गये अभिवन प्रयोग की चर्चा करते हुए उपायुक्त राजेश्वरी बी ने कहा कि ‘‘मुझे बहुत गर्व के साथ कहना पड़ रहा है कि दुमका जिला में ऐसे शिक्षक भी हैं, जिनके कार्यों की सराहना प्रधानमंत्री ने भी की है.’’
शिक्षा विभाग बना रहा फिल्म
डीसी ने बताया कि डूमरथर स्कूल के इस पहल पर शिक्षा विभाग द्वारा एक डॉक्यूमेंट्री भी बन रही है. डीसी ने आगे कहा कि इससे इंकार नहीं जा सकता कि कुछ अच्छे शिक्षकों के साथ-साथ कुछ ऐसे भी शिक्षक हैं जो कार्य नहीं करते हैं. शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए एक बार जगने से नहीं होगा, बार बार जगना पड़ेगा. हर सवेरे के साथ नई चुनौतियों का सामना करें. नयी शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षकों को ये तय करना है की वो बच्चों को कैसे पढ़ाएं. टीचिंग-लर्निंग प्रोसेस में डिजिटल टेक्नोलॉजी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जाए. विद्यार्थियों तक अपनी पहुंच स्थापित करें. साथ ही पढ़ाने की विधि को समय के साथ अपडेट करने के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग और कोर्सेस की सहायता लें.
उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति की सफलता पूर्ण रूप से शिक्षकों पर निर्भर है. इस नीति के कार्यान्वयन का लाभ विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षकों को भी मिलने वाला हैं. ये सब काम एक शिक्षक ही बेहतर कर सकते हैं. उन्होंने कहा की इसे लागू करने में शिक्षकों का दायित्व अधिक है, पाठ्यक्रम और अन्य चीजों को नई दिशा मिलेगी. इस अवसर पर पदाधिकारियों और शिक्षकों ने भी अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी. सेमिनार में जिला योजना पदाधिकारी अरुण द्विवेदी, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी राजेश कुमार राय, जिला शिक्षा पदाधिकारी मसूदी टुडू आदि भी मौजूद थे.
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