Kiriburu : सारंडा ग्राम परिषद के बैनर तले सारंडा के दस वन गांवों के मुंडा-मानकी व प्रतिष्ठित ग्रामीणों की संयुक्त बैठक दस सितम्बर को करमपदा बाजार में आयोजित की जाएगी. इसकी जानकारी करमपदा के मुंडा राजेश, भनगांव के मंगरा मुंडा व चन्द्रराम मुंडा ने संयुक्त रूप से दी है. बैठक में शामिल होने वाले वन गांवों में करमपदा, नवागांव, भनगांव (नोवामुंडी प्रखंड), थलकोबाद, दीघा, बालिबा, कुमडीह, तिरिलपोसी, नयागांव, बिटकिलसोय (सभी मनोहरपुर प्रखंड) शामिल हैं.
वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने की कर रहे मांग
यह बैठक दसों वन ग्रामों को राजस्व गांव का दर्जा देते हुए तमाम विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने की सरकार से जारी मांग के मद्देनजर की जा रही है. बाकी गांवों में ग्राम परिषद की बैठक हो चुकी है, यह आखिरी बैठक करमपदा में होनी है. उन्होंने कहा कि उक्त दसों वन ग्राम का नाम सरकारी ग्राम सूची में शामिल है. तत्कालीन बिहार सरकार के समय वर्ष 1991-92 में अमीन द्वारा जमीन मापी करवा के स्थाई ग्रामीणों को रैयत खतियान दिया गया था. परंतु कुछ के खतियान में अभी भी कुछ आंशिक त्रुटि है, जिससे जाति, आवासीय प्रमाण पत्र बनवाने में रैयत को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. उक्त सभी वन ग्राम के मुंडा एवं डाकुआ राजस्व ग्राम मुंडाओं की तरह सरकारी कार्यों में योगदान देते आ रहे हैं, परंतु सरकार से किसी प्रकार का प्रोत्साहन भत्ता नहीं मिलता है. विदित हो कि जनजातीय मामलों के मंत्रालय भारत सरकार के पत्रांक संख्या-23011/33/2010-एफआरए, दिनांक-08/11/2013 के द्वारा सभी राज्य सरकारों (जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा एवं दिल्ली को छोड़कर) एवं सभी केंद्र शासित प्रदेश (लक्षद्वीप और पुडुचेरी को छोड़कर) को वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने हेतु विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया गया है. सारंडा स्थित उक्त सभी दस वन ग्राम को आजादी के पूर्व से ही जंगलों की देखरेख एवं रक्षा हेतु बसाया गया था. उन सभी वन ग्राम को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करते हुए भूमि का पूर्ण स्वामित्व पूर्व में ही दिया जाना था जो वर्तमान तिथि तक अप्राप्त है. वर्ष 1991-92 में हुई उक्त बंदोबस्ती जमीन का रैयत खतियान में नाम, जाति एवं रकवा में रह गए आंशिक त्रुटि का यथाशीघ्र सुधार करते हुए सारंडा में स्थित सभी दस वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित किए जाने की मांग ग्रामीण कर रहे हैं. ताकि आने वाले समय में ग्रामीणों को भूमि पर स्वामित्व मिल सके. करमपदा में होने वाली बैठक के बाद सारंडा ग्राम परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल व मुख्यमंत्री से मिल मांगपत्र सौंपेगा और दसों वन ग्रामों को राजस्व गांव का दर्जा देने की मांग करेगा.