Ranchi : रांची में आदिवासी भूमि को गैर आदिवासी बनाने का खेल पुराना है. इसकी सेटिंग अंचल कार्यलाय के साथ मिलकर की जाती है. सीएनटी भूमि को गैर सीएनटी बना दिया जाता है. इसका आधार आदिवासी रैयत के पास भूमि संबंधी दस्तावेज की अनुपलब्धता को बनाया जाता है. ऐसा ही एक मामला रातू अंचल में सामने आया है. यहां आदिवासी रैयत को पूर्वजों से प्राप्त भूमि के दस्तावेज नहीं होने के कारण अंचल ऑफिस ने उनकी दावेदारी निरस्त कर दी.
इतना ही नहीं, जिनके नाम पर भूमि की जमाबंदी दर्ज थी, उसे भी हटाकर सीओ ने दूसरे के नाम पर म्यूटेशन कर दिया. इसके लिए बतौर अंचल कार्यालय के वाद भी चला, जहां अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर अंचल अधिकारी ने आदेश निर्गत किया. यह कारनामा रातू अंचल के तत्कालीन सीओ राजेश मिश्रा ने किया था.
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पहले आदिवासियों की दावेदारी को इस जमीन से किया गया खत्म
रातू अंचल के बेलांगी मौजा का खाता संख्या 84 का 6.79 एकड़ से जुड़ा है. जिसपर सीओ राजेश मिश्रा अपने आदेश में कमल राम पांडे के नाम दर्ज जमाबंदी को विलोपित करते हुए सतीश सिंह के नाम म्यूटेशन कर लगान रसीद निर्गत कराने का काम किया. अंचल कार्यालय में चले वाद संख्या 1/ 2020 के आदेश के अनुसार इस पूरे मामले में तीसरे आदिवासी पक्षकार को दस्तावेज नहीं होने के नाम पर खरिज कर दिया गया. जबकि रवि दीपक पन्ना, जोशीला पन्ना, अमित थिओफिल पन्ना, रेमंड पन्ना आदि ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से जवाब में कहा है कि खाता संख्या 12 के कुल रकबा 6.79 एकड़ भूमि तत्कालिक जमींदार राम तिवारी द्वारा 1935 में उनके पूर्वजों को प्राप्त हुआ था. लेकिन उनके पास कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है. इस आधार पर आदिवासी रैयत की दावेदारी अंचल कार्यालय ने खारिज कर दिया.
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जिसके नाम पर चल रही थी जमांबदी, सीओ ने उसे हटाया
रातू अंचल के तत्कालीन सीओ राजेश मिश्रा ने अपने आदेश में राजस्व उपनिरीक्षक हल्का टू एवं अंचल निरीक्षक रातू को आदेश दिया कि मौजा बेंलागी का थाना संख्या 84 का 6.79 एकड़, जो कमल राम पांडे के पिता पतिराम पांडे के नाम से संधारित थी और जमाबंदी भी कायम थी, उसे अपने आधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर विलोपित करते सतीश सिंह के पक्ष में करने का आदेश निर्गत किया. साथ ही इस भूमि की लगान रसीद निर्गत की गयी. इस मामले रातू अंचल के तत्कालीन सीओ राजेश मिश्रा से पक्ष लेने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया.