Ranchi: राज्य सरकार के साथ न्यायपालिका भी अब कोरोना काल में अपनों परिजनों को खो चुके बच्चो की मदद के लिए सामने आयी है. झालसा कोरोना वायरस के कारण अनाथ हुए बच्चों के लालन-पालन की जिम्मेदारी उठाएगा. इसके लिए शिशु प्रोजेक्ट की शुरुआत झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश और झालसा के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने की है. शिशु प्रोजेक्ट वैसे बच्चों को सहारा देने के लिए चलाया जा रहा है, जिनके माता- पिता दोनों की मृत्यु कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण हुई है. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्चुअल माध्यम से की गयी. इस दौरान झालसा के सचिव मो शाकिर और राज्य के अन्य DLSA के सचिव समेत कई न्यायिक पदाधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े रहे.
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बच्चों की हर तरह से की जाएगी मदद
इस प्रोजेक्ट की शुरुआत के मौके न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह ने कहा कि झालसा वैसे बच्चों के अभिभावक की भूमिका निभाए, जिन्होंने कोरोना काल में अपने परिजनों को खोया है. सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास में इन बच्चों को पूरी मदद करने में झालसा और डालसा का योगदान काफी महत्वपूर्ण होगा. शिशु प्रोजेक्ट की शुरुआत के बाद जिला प्रशासन के साथ मिलकर वैसे बच्चों को चिह्नित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है.
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कोरोना काल में कई बच्चों के सिर से उठ गया है माता-पिता का साया
बता दें कि पूरे झारखंड से ऐसे कई मामले प्रकाश में आए थे, जिनमें बच्चों के माता-पिता का देहांत कोविड-19 के कारण हो गया था और उनके भरण-पोषण में दिक्कतें आ रही थीं. इसी तथ्य को ध्यान में रखकर माननीय कार्यपालक अध्यक्ष झालसा अमरेश कुमार सिंह द्वारा राज्य के सभी समाज कल्याण पदाधिकारी बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष और जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव की एक बैठक बुलाई गई थी और ऐसे मामलों को चिह्नित किया था, उस बैठक में महिला एवं समाज कल्याण सचिव अविनाश कुमार सहित कई वरीय पदाधिकारी ने हिस्सा लिया था और एक कार्य योजना तैयार की गई थी कि ऐसे बच्चों को समुचित सहायता प्रदान की जाए, उनके पुनर्वास संबंधी एक ठोस रणनीति बनाई जाए, जिससे कि उन बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके. उसके बाद ही झालसा की यह स्कीम लांच की गई है.
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