Special Correspondent
New Delhi: राष्ट्र आज संविधान दिवस मना रहा है. यह दिन देशभर में राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में भी जाना जाता है और देश में संविधान को अपनाये जाने का स्मरण कराता है. 26 नवंबर 1949 को, देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अंगीकार किया था और जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने वर्ष 2015 में, 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाने के सरकार के निर्णय को अधिसूचित किया था. यह दिन संवैधानिक मूल्यों के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए भी मनाया जाता है. इस दिन भारत के पहले कानून मंत्री डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर को श्रद्धांजलि भी दी जाती है, जिन्होंने संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी.
संविधान दिवस के अवसर पर वृत्तचित्र
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ थावर चंद गहलोत ने नई दिल्ली में संविधान दिवस के अवसर पर एक अद्वितीय वृत्तचित्र “इलस्ट्रेशन एंड कैलीग्राफी इन द कॉंस्टीटूशन ऑफ़ इंडिया – भारत के संविधान में दृष्टांत और सुलेख” जारी किया. यह संविधान में दर्ज संबंधित भागों के साथ उपयोग किये गए विभिन्न चित्रों की प्रासंगिकता का सन्दर्भ देते हुए बनाया गया एक वृत्तचित्र है. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग इन समारोहों के समन्वय के लिए नोडल विभाग नियुक्त किया गया है.
इसे भी पढ़ें- समुद्र तट से टकराया निवार, 3 घंटों में तूफान के कमजोर होने की संभावना
प्रस्तावना का होगा एक साथ वाचन
संविधान दिवस समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा संविधान की प्रस्तावना का वाचन भी है जो लोकतांत्रिक विचारधारा को बनाए रखने की हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है और इसका नेतृत्व राष्ट्रपति 26 नवंबर को सुबह 11 बजे करेंगे. सभी मंत्रालयों एवं विभागों, भारत सरकार और स्वायत्त निकायों, अधीनस्थ कार्यालयों, शैक्षिक संस्थानों सहित संबंधित संगठनों तथा संस्थानों को एक साथ प्रस्तावना को पढ़ना होगा.
इसे भी पढ़ें- पैतृक गांव पीरामन में होगा अहमद पटेल का अंतिम संस्कार, राहुल गांधी भी होंगे शामिल
कई प्रतियोगिताओं का आयोजन
67 मंत्रालयों, विभागों और संगठनों ने वेबिनार, प्रदर्शनियों, निबंध प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, नारा प्रतियोगिता, क्षेत्रीय वेबिनार, ई-बैनर, डिजिटल प्रदर्शनी और वार्ता, वीडियो तथा ऑडियो विज्ञापन जारी करने और समाचार पत्रों में लेखों के प्रकाशन सहित 200 से अधिक गतिविधियों का आयोजन किया गया है. नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों पर चर्चा भी इनमें शामिल है.
इसे भी पढ़ें- दिल्ली चलो मार्च: बड़ी संख्या में किसानों का दिल्ली की ओर कूच