Ranchi: झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र में जनमुद्दों से जुड़े सैकड़ों सवालों दब गये. साहिबगंज में गंगा के कटाव से विस्थापित हुए 600 से ज्यादा लोगों का दर्द विधानसभा के पटल पर आया तो जरूर, लेकिन इसपर न चर्चा हो सकी, न उनके पुनर्वास की कोई योजना बन सकी. विस्थापितों के पुनर्वास को लेकर पूछे गये सवाल का भी सरकार की ओर से स्पष्ट जवाब नहीं आया. जल संसाधन विभाग ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कह दिया कि विस्थापितों के पुनर्वास का कार्य जल संसाधन विभाग का नहीं है. वहीं विस्थापित हुए बेघरों को छत मुहैया कराने के बजाये हर बार की तरह कटाव रोकने का डीपीआर इस बार भी जरूर तैयार हो गया.
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83.15 किलोमीटर एरिया को कटावमुक्त करने का बन रहा डीपीआर
जल संसाधन विभाग का कहना है वो गंगा कटाव को रोकने की दिशा में काम कर रहा है. गंगा दियारा क्षेत्र में साहिबगंज से बंगाल बार्डर तक 83.15 किलोमीटर एरिया को कटावमुक्त करने के लिए डीपीआर जरूर तैयार हो गया है. वॉपकोस लिमिटेड नाम की कंपनी ने कटाव रोकने के लिए डीपीआर तैयार कर गंगा बढ़ा नियंत्रण आयोग को भेजा था, लेकिन GFCC ने CWC के गाइडलाइन के मुताबिक डीपीआर में संशोधन करने का निर्देश वॉपकोस को दिया है. अब फिर नये सिरे से डीपीआर तैयार किया जा रहा है.
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दियारा क्षेत्र के 600 से ज्यादा लोग बेघर
गौरतलब है कि 1970 के बाद से हर साल बाढ़ और कटाव से सैकड़ों लोग बेघर होते रहे हैं. हर बार कटाव रोकने की तात्कालिक और दीर्घकालिक योजनाएं बनती है, लेकिन ये योजनाएं फाइलों से निकल नहीं पाती. इस बार भी साहिबगंज सदर प्रखंड के कारगिल दियारा, रामपुर दियारा, गोपालपुर दियारा, राजमहल नगर पंचायत क्षेत्र, गदाई दियारा, घाटजमनी, मोकिमपुर, सैदपुर, पूर्वी नारायणपुर दियारा, जीननगर, उत्तर पलाशगाछी के खट्टी टोला और श्रीधर पंचायत के 600 से ज्यादा लोग गंगा के कटाव से बेघर हुए हैं.
विधायक अनंत ओझा फिर भेजेंगे स्पीकर को पत्र
सदन में गंगा कटाव से विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास पर सदन में चर्चा नहीं होने और जल संसाधन विभाग से मिले जवाब से स्थानीय विधायक अनंत ओझा निराश हैं. विधायक फिर से इस मामले को लेकर विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि विस्थापितों की समस्या से सरकार को कोई लेना-देना नहीं है. कई बार धरना प्रदर्शन करने और जिला प्रशासन पर दबाव बनाने के बाद भी एक भी विस्थापित का पुनर्वास नहीं हुआ है. जिला प्रशासन ने पुनर्वास के लिए जगह भी चिन्हित किया, लेकिन पुनर्वास कार्य शुरू नहीं हो पा रहा.