LagatarDesk : दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत में एक बार फिर कड़ाके की ठंड पड़ रही है. इस मौसम में अहले सुबह और शाम को तेज हवाओं के कारण ठंड ज्यादा ज्यादा लगती है. मौसं लगातार चेंज से कई प्रकार की बीमारियों के होने का खतरा रहता है. इनमें निमोनिया भी एक बीमारी है. तापमान में गिरावट के अलावा इनडोर पॉल्यूशन के कारण भी यह समस्या बढ़ती है. निमोनिया वायरस, बैक्टीरिया या कवक के कारण होने वाला संक्रमण है, जो फेफड़ों को प्रभावित करता है. इस स्थिति में सांस लेने में कठिनाई होती है. निमोनिया की समस्या कुछ स्थितियों में गंभीर जटिलताओं का कारण भी बन सकती है. बच्चों-बुजुर्गों में इसे मृत्यु का जोखिम बढ़ाने वाला भी माना जाता है. आइये आपको बताते हैं कि आपको किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है. (पढ़ें, शिक्षक नियुक्ति मामला : शिक्षकों ने जेएसएससी कार्यालय का किया घेराव)
बच्चों और बुजुर्गों में दिखें ऐसे लक्षण तो ना करें नजरअंदाज
पांच साल से कम उम्र के बच्चे और 60 से 65 साल के बीच के बुजुर्ग में निमोनिया का खतरा अधिक होता है. बच्चों को निमोनिया होने पर कई बार इसके स्पष्ट लक्षण नजर नहीं आते हैं. लेकिन कुछ बच्चों में निमोनिया के कारण बुखार, सांस की तकलीफ, उल्टी, सिरदर्द, सीने में दर्द ( सांस लेने या खांसने पर) या खाने-पीने में परेशानी होती है. 5 साल से कम उम्र के बच्चों में तेज सांस या घरघराहट जैसी दिक्कतें देखी जाती है. वृद्ध लोगों में सांस की जटिलताओं का खतरा अधिक देखा जाता रहा है. निमोनिया के इन लक्षणों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए. इसके अलावा फेफड़े, हृदय, यकृत, गुर्दे, मस्तिष्क आदि को प्रभावित करने वाली पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों में भी इस बीमारी का खतरा अधिक होता है. धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों में निमोनिया होने की संभावना अधिक होती है.
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निमोनिया से बचने के लिए वैक्सीन और इनडोर पॉल्यूशन से बचाव जरूरी
निमोनिया से बचाव के लिए कई टीके उपलब्ध हैं. जो इस संक्रमण को रोकने और जटिलताओं से बचाने में आपकी मदद कर सकते हैं. फ्लू वैक्सीन से इस संक्रमण से बचा जा सकता है. इसके अलावा सभी लोगों को निमोनिया से बचाव के उपाय करते रहना चाहिए. इनडोर पॉल्यूशन से बचना चाहिए. साथ ही ठंड के मौसम में कुछ समय धूप और खुली हवा में बिताना चाहिए. यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे तुरंत बंद कर दें. कम से कम 20 सेकंड के लिए नियमित रूप से अपने हाथों को साबुन और पानी से धोएं. खांसते या छींकते समय मुंह नाक को अच्छी तरह से कवर करें. इसके बाद हाथों को धोएं.
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