NewDelhi :स्वीडन की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग को किस तरह भारत में माहौल खराब करने वालों ने इस्तेमाल किया, इसका खुलासा होने लगा है. किसान आंदोलन का फायदा उठाकर अलगाववाद को बढ़ावा देने के प्रयासों की जांच में शामिल एक पुलिस अधिकारी के अनुसार जिस टूलकिट को ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट किया था उसे कनाडा के वैंकूवर बेस्ड पोइटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF) के फाउंडर एम धालीवाल द्वारा क्रिएट किया गया था. धालीवाल किसानों के प्रदर्शन का लाभ उठा कर भारत में खालिस्तानी आंदोलन को हवा देने के मंसूबे पाल रहा है.
M Dhaliwal standing in the entrance of visa Consulate office in Vancouver on 26 JANUARY his uncle a Khalistani was killed by Punjab police after 1984 Riots pic.twitter.com/6RNXNrZC8N
— Naveen Kapoor ANI (@IamNaveenKapoor) February 5, 2021
पुलिस अधिकारी के संदेह और आरोपों की पुष्टि हाल ही में आये एम धालीवाल के एक वीडियो क्लिप से होती है, जिसमें वह आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने के साथ अलगाववादी आंदोलन को भी बढ़ाने की बात कह रहा है. धालीवाल वीडियो में कह रहा है कि यदि कृषि कानून कल वापस हो जाते हैं, तो यही हमारी जीत नहीं होगी.
कृषि कानूनों की वापसी के साथ जंग की शुरुआत होगी और इसका अंत यहीं नहीं होगा. किसी को यह मत बताने दीजिए कि कृषि कानूनों के साथ यह जंग खत्म हो जायेगी. इसलिए कि वे इस आंदोलन से ऊर्जा निकालने की कोशिश कर रहे हैं. वे आपको बताने की कोशिश कर रहे हैं कि आप पंजाब से अलग हैं, और आप खालिस्तान आंदोलन से अलग हैं. आप नहीं हैं.
बताया जा रहा है कि इस वीडियो को 26 जनवरी को भारतीय कांसुलेट के बाहर प्रदर्शन के दौरान शूट किया गया था. हालांकि इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं की जा सकी है.
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PJF एक बार फिर फोकस में आ गया है
बता दें कि इस सप्ताह धालीवाल और उसका ग्रुप PJF एक बार फिर फोकस में आ गया है. ऐसा ग्रेटा थनबर्ग की ओर से ट्वीट किये गये टूलकिट डॉक्युमेंट के बाद हुआ, जिससे किसान आंदोलन को लेकर ऑनलाइन और ऑफलाइन एक्शन प्लान को लेकर जानकारी दी गयी थी. दिल्ली पुलिस ने गुरुवार शाम कहा कि सब कुछ ठीक उसी तरह हो रहा है जिस तरह इस टूलकिट में बताया गया है. बता दें कि दिल्ली पुलिस ने टूलकिट के अज्ञात क्रिएटर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू कर दी है.
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कृषि कानूनों का विरोध अलगाववादी एजेंडे के लिए समर्थन जुटाने का बहाना
इस डॉक्युमेंट में वे लिंक्स दिये गये हैं जिन्हें सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते थे. ये 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर केंद्रित थे और समूह इसे वैश्विक प्रदर्शन के रूप में मनाना चाहता था. हालांकि बाद में ग्रेटा ने इस ट्वीट को डिलीट कर दूसरा डॉक्युमेंट अपोलड किया, जिसे पुलिस अधिकारी ने अपडेटेड और सैनिटाइज्ड वर्जन करार दिया है.
अधिकारी का कहना है कि टूलकिट को इसके क्रिएटर्स की पृष्ठभूमि और मंसूबों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए. वीडियो उस समूह के उद्देश्यों को दिखाता है जो सोशल मीडिया पर जनमत को भारत सरकार के खिलाफ करना चाहता है. उन्होंने कहा, उनके लिए कृषि कानूनों का विरोध सिर्फ उनके अलगाववादी एजेंडे के लिए समर्थन जुटाने का एक बहाना है.
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वीडियो में धालीवाल नौजवानों से अपील कर रहा है
इस वीडियो में धालीवाल नौजवानों से अपील कर रहा है कि वे खालिस्तान की मांग को लेकर अपने मस्तिष्क को खुला रखें. धालीवाल इस वीडियो में कहता है, किसान प्रदर्शन को लेकर खालिस्तानी लोग इसलिए इतने उत्साहित हैं, क्योंकि उन्होंने 1970 के दशक में जो उम्मीद की थी उसका सच 40-50 सालों के बाद देख रहे हैं.
1970 के दशक में वे एक स्वतंत्र भूमि चाहते थे. मैं सभी नौजवानों से गुजारिश करता हूं कि एक दूसरे से आंख बंद ना करें. एक दूसरे से अपने दिल बंद ना करे. अपने दिमाग बंद ना करें. यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जो समझते नहीं, खालिस्तान को गलत शब्द समझते हैं, सवाल पूछें, जानें… समझें… कोई भी आतंकवादी नहीं बनना चाहता… वे हमें एक दूसरे से अलग करना चाहते हैं. हम यहां आजादी और पंजाब की पवित्रता के लिए के लिए हैं.
क्या है पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन
कनाडा की यह संस्था जून 2020 में फेसबुक-इंस्टाग्राम पर आयी और पिछले साल फरवरी में इसका ट्विटर अकाउंट बना. AskIndiaWhy’ वेबसाइट भी PJF ने बनायी है. इस वेबसाइट पर लिखा गया है कि भारत एक फासीवादी, हिंसक दमनकारी शासन’ की ओर बढ़ रहा है. इसमें प्रो-खालिस्तान और प्रो-पाकिस्तान कनाडाई सांसद जगमीत सिंह के कई बयान हैं. जान लें कि PJF ने खालिस्तान-द सिख फ्रीडम स्ट्रगल’ पर एक वेबिनार भी कराया था. इसके डायरेक्टर्स में मो धालीवाल का नाम भी है जो खुद को प्राउड खालिस्तानी बताता है.
टूलकिट में क्या था?
थनबर्ग ने शुरुआत में जो ‘टूलकिट’ शेयर की, उसमें भारत को निशाना बनाकर ग्लोबल ट्वीटस्टार्म से लेकर दूतावासों को घेरने तक का आह्वान किया गया था. दस्तावेज में किस तारीख कब क्या और कैसे करना है, इसका विस्तार से जिक्र था. उस टूलकिट के भीतर दर्जनों लिंक थे.
कवर पर आंदोलनकारी किसानों की एक फोटो थी जिसके ऊपर अंग्रेजी में लिखा था, ‘क्या आप मानव इतिहास के सबसे बड़े प्रदर्शन का हिस्सा बनेंगे?’ रिसोर्सेज में पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन और ग्रीन्स विद फार्मर्स यूथ कोअलिशन’ की वेबसाइट्स के लिंक थे.