Bokaro: बोकारो के दामोदर नदी के किनारे बसे कोह, औसम और पेटरवार प्रखंड की महिलाएं लेमन ग्रास की खेती कर अपने सपने को साकार करने में जुटी हैं. कल तक अपनी रोजी-रोटी के लिए परेशान रहने वाली पेटरवार प्रखंड की महिलाओं ने बंजर जमीन पर लेमन ग्रास की खेती से करीब 3.5 लाख रुपये की आमदनी कर मिसाल कायम की है.
महिलाओं ने जोहार परियोजना के माध्यम से लेमन ग्रास की खेती शुरू की है. वर्ष 2020 में खरीफ मौसम में लगभग चार उत्पादक समूहों द्वारा पहली बार पेटरवार प्रखंड क्षेत्र में लेमन ग्रास की खेती आरंभ की गई थी. अच्छी आमदनी होने पर इसकी संख्या बढ़ती गयी. इस साल पेटरवार प्रखंड अंतर्गत दस महिला उत्पादक समूहों के 140 महिला किसानों ने कुल 28 एकड़ में लेमन ग्रास की खेती शुरू की है. खेती की शुरुआत में कई लोगों ने इनको पैसे डूबने को लेकर डराया भी, लेकिन महिलाओं ने हार नहीं मानी. लेमन ग्रास की खेती कम उपजाऊ जमीन और बंजर भूमि में भी आसानी से की जाती है. एक बार पौधा लगाने के बाद पांच वर्षों तक प्रति वर्ष 4 से 5 बार इसकी पत्तियों की कटाई और बिक्री कर मुनाफा कमाया जा सकता है. पिछले वर्ष खेती करने वाले चार उत्पादक समूहों द्वारा इस बार 10 उत्पादक समूहों को लेमन ग्रास (नींबू घास) का पौधा बिक्री किया गया है. इससे महिला किसानों ने लगभग 3.50 लाख रुपये की आमदनी की है.
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साबुन में लेमन ग्रास का इस्तेमाल होता है
लेमन ग्रास का इस्तेमाल कॉस्मेटिक्स, सौंदर्य प्रसाधन, साबुन, कीटनाशक और दवाओं में होता है. एंटीऑक्सिडेंट के रूप में ही लेमन ग्रास का काफी महत्व है. जोहार परियोजना के तहत जिले में अब तक 340 महिला किसानों को लेमन ग्रास की खेती से जोड़ा गया है. किसानों को तकनीकी सहयोग और सुझाव देने के लिए वनोपज मित्र को प्रशिक्षित किया गया है. जो इन किसानों को लगातार प्रशिक्षण और अन्य सलाह ग्रामीण स्तर पर देते हैं. पेटरवार प्रखंड में लेमन ग्रास की खेती करने वाली महिला ने बताया कि उत्पादक समूह से जुड़कर हमलोगों ने जाना कि कैसे सामूहिक खेती और सामूहिक बिक्री कर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है. उत्पादक समूह में चर्चा और प्रशिक्षण के बाद ही हमने लेमनग्रास की खेती करने को सोची. इस खेती का सबसे बड़ा फायदा है कि एक बार फसल लगाने के पांच साल बाद तक दोबारा लगाने की जरूरत नहीं है और हर साल कमाई होती है.
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