Lagatar Desk : कोरोना काल में अगर सबसे ज्यादा कोई चीज प्रभावित हुई है, तो वो शिक्षा है. कोरोना के शुरू होते ही स्कूलों को बंद कर दिया गया है. लगभग 21 माह से स्कूल बंद पड़ा हुआ है. जिसका असर वर्तमान पीढ़ी पर देखने को मिल रहा है. विश्व बैंक और यूनेस्को के रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में लगभग 17 लाख करोड़ डॉलर का नुकसान हुई है. जो पूरी दुनिया के वर्तमान जीडीपी का लगभग 14 प्रतिशत है.
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स्कूलों को बंद रखने का कोई औचित्य नहीं है
विश्व बैंक के वैश्विक शिक्षा निदेशक जैम सावेद्रा के मुताबिक कोरोना को देखते हुए स्कूलों को बंद रखने का कोई औचित्य नहीं है. नयी लहरों में भी स्कूलों को बंद करना एक अंतिम उपाय नहीं होना चाहिए. सावेद्रा ने वाशिंगटन में एक साक्षात्कार में कहा कि उनकी टीम शिक्षा क्षेत्र पर COVID-19 के प्रभाव पर नजर रख रही है. जिसमें कोई ऐसी सबूत नहीं मिली है कि स्कूलों को फिर से खोलने से कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि हुई है और स्कूल सुरक्षित स्थान नहीं हैं. सार्वजनिक नीति के नजरिए से बच्चों के टीकाकरण तक इंतजार करने का कोई मतलब नहीं है. क्योंकि इसके पीछे कोई विज्ञान नहीं है.
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भविष्य में नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा
विश्व बैंक के रिपोर्ट को ”स्टेट ऑफ द ग्लोबल एजुकेशन क्राइसिस : अ पाथ टू रिकवरी रिपोर्ट” नाम दिया गया है. जिसमें कहा गया है कि स्कूलों पर कोरोना का प्रभाव अनुमान से ज्यादा पड़ा है. वहीं मध्यम और कम आय वाले देशों में पहले से 53 फीसदी बच्चे शिक्षण की समस्या से जूझ रहे थे. अब कोरोना महामारी के कारण स्कूलों के बंद होने के बाद यह बढ़कर 70 फीसदी तक पहुंच सकती है. जिसे भविष्य में नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे. इस पीढ़ी की उत्पादकता, कमाई, रहन-सहन सभी बातों पर इस महामारी का बुरा असर होगा. वहीं लाखों छात्र स्कूलों से दूर हैं और कई तो अब कभी स्कूलों में जा ही नहीं पाएंगे. जो उनके परिवार और पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए बुरा होगा.
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दुनियाभर के देशों में सरकारों ने राहत पैकेज में तीन फीसदी से भी कम हिस्सा शिक्षा के लिए रखा
रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर के देशों में सरकारों द्वारा कोरोना के दौरान घोषित किए गए राहत पैकेज में तीन फीसदी से भी कम हिस्सा शिक्षा के लिए रखा गया है, जबकि वर्तमान समय में इससे कहीं अधिक की आवश्यकता है. इसके साथ ही शिक्षकों को भी इस स्थिति से निपटने के लिए उचित व्यवस्था देने की आवश्यकता है.
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