NewDelhi : इस साल के अंत तक भारत से सुपर रिच माने जाने वाले 8000 भारतीय देश छोड़ कर माइग्रेट हो सकते हैं. इनमें उद्यमी, कॉर्पोरेट अधिकारी और नौकरीपेश शामिल हैं. यह दावा पिछले दिनों हेनली ग्लोबल सिटीजन रिपोर्ट (Henly Global Citizen) के सर्वे की रिपोर्ट में किया गया है. कहा गया है कि यंग टेक एंटरप्रेन्योर ग्लोबल बिजनेस की ओर आकर्षित होकर निवेश के बेहतर अवसरों की खोज में हैं.
अधिकांश अमीर संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर में आ रहे हैं
रिपोर्ट कहती है कि दुनिया के अधिकांश अमीर संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर में आ रहे हैं. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट पर नजर डालें तो तो 2015 से 2021 तक, भारत की कुल 1.3 अरब आबादी में से 9,00,000 से अधिक ने अपने पासपोर्ट सरेंडर किये हैं. हालांकि यह एक छोटा प्रतिशत है, लेकिन चिंताजनक बात यह है कि यह संख्या साल-दर-साल बढ़ रही है. हेनले एंड पार्टनर्स की रैंकिंग के अनुसार, सिंगापुर और यूएई इस समय अमीर उद्यमियों के लिए सबसे बेहतर विकल्प हैं.
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भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा विदेशी नागरिकता ग्रहण करने वाले भारतीयों के लिए शीर्ष स्थान हैं. सर्वे के अनुसार साल 2022 में भारत में रिच माने जाने वाले मिलियनेयर देश से कठोर टैक्स और पासपोर्ट नियमों के चलते ऐसा कर सकते हैं. यह संख्या रूस और चीन के बाद विश्व स्तर पर तीसरी सबसे बड़ी संख्या बतायी जाती है ऐसे समय में जब भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, तो ऐसा होने के क्या कारण हैं?
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इसका यह मतलब कतई नहीं है कि भारत अब आकर्षक डेस्टिनेशन नहीं रह गया है. बता दें कि देश पूरी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने का टैग पा चुका है और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में कामयाब हो रहा है.
अमीर विदेशों की ओर क्यों देख रहे हैं
एक ओर जहां दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती इकोनॉमी (Economy) के तौर पर भारत उभरा है. कोरोना (Corona) के प्रकोप से उबरने के मामले में भी देश अन्य दूसरे देशों की तुलना में बेहतर रहा है. ऐसे माहौल में ये खबर थोड़ा चौंकाने वाली है, कि देश के हजारों की संख्या में अमीर दुनिया के अन्य देशों में बसने की तैयारी कर रहे हैं. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार कमाई के विविध जरिए, व्यापार में विस्तार और जीवन की बेहतर गुणवत्ता का पीछा करते हुए ये अमीर विदेशों की ओर देख रहे हैं और वैकल्पिक निवास स्थापित करने में जुटे हुए हैं.