Saurabh Singh
Ranchi: आज से 22 साल पहले बिहार से अलग कर झारखंड राज्य का गठन हुआ था. ताकि इस क्षेत्र का अपेक्षित विकास हो और लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल सके. कैडर बंटबारे के बाद अधिकारियों-कर्मचारियों का भी बंटवारा हो गया. लोगों में उम्मीद जगी थी राज्य बनने के बाद सरकारी सेवक आम लोगों की सेवा करेंगे, उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाएंगे. लेकिन जनता की सेवा के लिए तैनात अफसर-कर्मचारी और पुलिस वाले ही लोगों से रिश्वत मांगने लगे. अलग राज्य बनने के बाद भ्रष्टाचार पर लगाम के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) का भी गठन किया गया था. लेकिन एसीबी छोटे स्तर के कर्मचारियों की गिरफ्तारी कर सका, बड़े अफसरों परा हाथ न डाल सका.
राज्य अलग होने के बाद से अब तक (2001 से 2021 तक) एसीबी, बीडोओ, थाना प्रभारी, एसआई, एएसआई, दारोगा, राजस्व कर्मचारी, पंचायत सेवक क्लर्क, इंजीनियर, फॉरेस्टर स्तर के अधिकारियों-कर्मचारियों को रिश्वत लेते गिरफ्तार कर सका. लगभग 20 वर्षों के दौरान एसीबी की टीम ने राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के 863 कर्मचारियों को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया. लेकिन बड़े अफसरों के खिलाफ शिकायत मिलने के बावजूद किसी को भी एसीबी ट्रैप नहीं कर सका. गिरफ्तार कर्मचारियों को जेल भी भेजा गया, लेकिन सरकारी कार्यालयों में रिश्वतखोरी बढ़ती ही गई.
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कई विभाग ऐसे, जहां बिना रिश्वत नहीं होता कोई काम
राज्य सरकार के कई विभाग ऐसे हैं, जहां रिश्वतखोरी चरम पर है. बिना रिश्वत दिए आम लोगों के कोई काम होते ही नहीं. खास कर अंचल कार्यालयों की हालत सबसे ज्यादा खराब है, जहां सीओ से लोगों को मुलाकात करना मुश्किल होता है. जमीन के लगान की रसीद कटानी हो या फिर दाखिल-खारिज का मामला, बिना रिश्वत दिए लोगों के काम ही नहीं होते. 1.25 रुपए का लगान जमा करने के लिए लोगों से सीओ ऑफिस के कर्मचारी पांच हजार रुपए तक घूस मांगते हैं.
जानें किस साल हुई कितनी गिरफ्तारी
2001 में 23, 2002 में 65, 2003 में 26, 2004 में 12, 2005 में 06, 2006 में 15, 2007 में 15, 2008 में 24, 2009 में 16, 2010 में 43, 2011 में 13, 2012 में 29, 2013 में 26, 2014 में 31, 2015 में 54, 2016 में 84, 2017 में 137, 2018 में 69, 2019 में 67, 2020 में 58 और 2021 में 50 सरकारी र्कमारियों की गिरफ्तारी रिश्वत लेते रंगेहाथों की गई.
बिहार की तुलना में झारखंड में दो साल में हुई ज्यादा गिरफ्तारी
बिहार की तुलना में झारखंड में पिछले दो साल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप में ज्यादा सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेते गिरफ्तार किए गए. हालांकि बिहार में इंजीनियर से लेकर अफसर तक की गिरफ्तारी में लाखों रुपए नकद बरामद हुए, चल-अचल संपत्ति का भी पता चला. झारखंड की बात करें तो साल 2020 और 2021 में कुल 108 सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेते गिरफ्तार किए गए, जबकि बिहार में इस दौरान 53 सरकारी कर्मचारियों, इंजीनियरों, अफसरों की गिरफ्तारी हुई है.
एसीबी के गठन का उद्देश्य
सरकारी कार्यालयों में काम कराने जाने पर लोगों को बेवजह परेशान किया जाता है. कभी दस्तावेज की कमी बता कर काम नहीं किया जाता, तो कभी सारे दस्तावेज होने के बावजूद काम रिश्वत के लिए लटकाए रखा जाता है. सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोरी पर अंकुश लगाने के लिए ही एसीबी का गठन किया गया था. किसी भी सरकारी काम के लिए फीस तो मामूली होती है, लेकिन कर्मचारी -अधिकारी फीस के अतिरिक्त भी पैसों की मांग करता है. मजबूरी में लोग रिश्वत देकर काम करा लेते हैं. लेकिन जब उनकी डिमांड अधिक होती है और काम रुक जाता है, तो लोग एसीबी में शिकायत करते हैं. शिकायतों को एसीबी के अफसर वेरीफाई करते हैं, इसके बाद रिश्वत लेते कर्मचारियों को ट्रैप करते हैं.
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