Ranchi: झारखंड में श्रमिक संगठनों की हड़ताल असरदार रही. सीसीएल, बीसीसीएल, एचईसी आदि पीएसयू कंपनियों में उत्पादन प्रभावित हुआ. कोयला उद्योग में श्रमिक संगठनों की हड़ताल का असर देखने को मिला.राज्य में कोयले का उत्पादन और डिस्पैच नहीं हो सका.मजदूर संगठन एटक, इंटक, सीटू, एचएमएस और एक्टू का दावा है कि हड़ताल के कारण दो मिलियन टन (20 लाख टन) कोयले का उत्पादन नहीं हुआ.
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कोल इंडिया को 400 करोड़ के नुकसान का अनुमान
सीटू नेता भवन सिंह ने बताया कि हड़ताल से कोल इंडिया को 400 करोड़ रुपए की क्षति हुई. रेलवे को 50 करोड़ रुपए देने होंगे. विभिन्न प्रकार से करीब 450 करोड़ के नुकसान का अनुमान है. एचईसी में करीब 50 करोड़ के उपकरणों का निर्माण कार्य प्रभावित हुआ. इस प्रकार हड़ताल की वजह से 500 करोड़ का काम प्रभावित हुआ है.
हडताल में 30 लाख श्रमिक हुए शामिल
26 नवंबर की़ हडताल को सफल बनाने के लिए एटक, सीटू और हिंद मजदूर सभा समेत सात ट्रेड यूनियनों ने साझा मोर्चा बना कर काम किया. राज्यभर में करीब 30 लाख स्थायी-अस्थायी कर्मी हड़ताल में शामिल होंगे. इसमें पीएसयू और बैंक के करीब दो लाख कर्मी शामिल हुए.
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मजदूर नेताओं के नेतृत्व में हड़ताल समर्थक सुबह 7 बजे से ही रांची, रामगढ़, हजारीबाग, चतरा, लातेहार, बोकारो, गिरिडीह की कोयला खदानों में घूम-घूम कर कामकाज ठप कराते रहे.
CCL के पिपरवार व एनके एरिया में ज्यादा असर, 50 करोड़ का नुकसान
सीसीएल में भी हड़ताल का व्यापक असर रहा. ज्यादा असर पिपरवार और एनके एरिया में रहा. रांची स्थित सीसीएल मुख्यालय और सीएमपीडीआई में भी उपस्थिति समान्य दिनों से कम रही. रजरप्पा, कुजू, उरीमारी, हजारीबाग क्षेत्र, सेंट्रल वर्कशॉप बरकाकाना और अरगड्डा एरिया में भी हड़ताल प्रभावी रही. सीसीएल को 50 करोड़ की क्षति हुई.
बीसीसीएल को 70 करोड़ की क्षति
बीसीसीएल में भी हड़ताल का व्यापक असर रहा. उत्पादन के साथ डिस्पैच भी प्रभावित हुआ. जेनरल शिफ्ट में 15 हजार टन के बदले मात्र 3 हजार टन ही उत्पादन हाे सका. कम उत्पादन होने से कंपनी को लगभग 70 करोड़ रुपए की क्षति हुई है. कर्मियों की उपस्थिति भी कम रही. ट्रेड यूनियनों से जुड़े कर्मचारी काम पर नहीं आए. हड़ताल में आउटसोर्सिंग कर्मचारी भी शामिल रहे.
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