Dhanbad : क्या धनबाद के फल-सब्जी, अनाज के व्यापारी धनबाद छोड़ देंगे? क्या वे बंगाल के बराकर से व्यापार करेंगे? लगता तो ऐसा ही है. झारखंड सरकार के दो प्रतिशत बाजार टैक्स के खिलाफ आंदोलन कर रहे व्यापारी खुलेआम कह रहे हैं कि वे टैक्स नहीं देंगे. वे धनबाद से सटे बंगाल के बराकर चले जाएंगे, वहीं से व्यापार करेंगे.
मंगाए जा रहे अनाज पर टैक्स, वाह रे सरकार : गुप्ता
कृषि बाजार समिति चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विनोद गुप्ता का कहना है कि सरकार किसान हित के नाम पर बाजार शुल्क लागू करने का तर्क देती है. क्या सरकार को मालूम नहीं है कि झारखंड खनिज उत्पादक राज्य है, दूसरे राज्यों से अनाज मंगाना पड़ता है. पड़ोसी राज्यों से मंगाए जा रहे अनाज पर टैक्स लगाकर सरकार किस तरह किसान हित में काम करना चाहती है, यह समझ से परे है ? श्री गुप्ता ने कहा कि सरकार निर्णय वापस नहीं लेती है, तो कारोबारी बंगाल शिफ्ट कर जाएंगें. वहां बाजार शुल्क नहीं है.
अनाज के दाम में उछाल आएगा : अग्रवाल
बाजार समिति के महासचिव विकास कंधवे ने कहा कि यदि सरकार निर्णय वापस नहीं लेती है, तो आने वाले समय में झारखंड में व्यापार समाप्त हो जाएगा. झारखंड से सटे बंगाल के बराकर में कारोबारी शिप्ट कर जाएंगे. जितेन्द्र अग्रवाल का कहना है कि दो प्रतिशत बाजार शुल्क सरकार को भारी पड़ने वाला है. अनाज पर पांच प्रतिशत जीएसटी है. ऐसे में दो प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने से अनाज के दाम में उछाल आएगा. विकास गुप्ता का कहना है कि दो प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क का असर आम जनता पर ही पड़ेगा. अनाज, फल-सब्जी, तेल के दाम बढ़ जाएंगे. व्यवसायियों का कहना है कि धनबाद कृषि बाजार समिति में 426 थोक विक्रेता हैं. अगर सरकार यह शुल्क लागू कर देती है, तो प्रति वर्ष एक व्यापारी को 10 से 12 लाख रुपए ज्यादा चुकाने होंगे. इससे सरकार की झोली में 42 से 45 करोड़ रुपए प्रति वर्ष जाएगा, जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा.
यह भी पढ़ें : स्कूलों में गर्मी की छुट्टी से पहले बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य नहीं हो सका पूरा