Surjit Singh
न्यूज 18 के पत्रकार सौरभ शर्मा और उनकी पत्नी अंजली शर्मा के साथ मारपीट करने. पत्नी के कपड़े फाड़ने की धमकी देने. उनके 7 साल के बच्चे को पौन घंटे तक भीड़ के कब्जे में रहने की घटना से समाज को ज्यादा दिक्कत नहीं है. उल्टे सौरभ शर्मा पर भीड़ ने आरोप लगा दिया कि वह शराब पीकर गालियां दे रहे थे. इन सबकी वजह से सौरभ शर्मा देशद्रोही हैं. पाकिस्तान परस्त हैं. उनके व उनके परिवार के साथ कुछ भी किया जा सकता है. मतलब यह कि पीड़ित ही आरोपी है.
ऐसी ही घटना जेएनयू में हुई. आरोप लगाया गया कि पूजा करने में बाधा डाली गई. इसलिए मारपीट की घटना हुई. मतलब जो लोग पीटे गये, जिन्हें चोटें आयीं, जो जख्मी हैं, वही आरोपी हैं. इसी तरह देश के कई हिस्सों में नवरात्रि के जुलूसों के बारे में कहा गया कि पत्थर फेंके गए. इसलिये हिंसा के रूप में जो कुछ हुआ, वह जाएज है. मतलब यहां भी पीड़ित ही आरोपी है.
बीते एक हफ्ते की घटनाओं पर नजर डालें तो यही समझ बनती है कि इसे लेकर मीडिया और हमारा समाज एकमत है. ज्यादातर को इन घटनाओं से दिक्कत नहीं है. तो समझ लीजिए कि यह नया ट्रेंड है. जिसमें पीड़ितों पर ही आरोप लगा दो. देशद्रोही बता दो. और समाज में हिंसा का माहौल बना दो.
शुरु में इस तरह से यह सब एक खास धर्म के लोगों के साथ हुआ. अब सबके साथ होने लगा है. अगर किसी को लगता है कि ऐसा नहीं है. उनके साथ ऐसा नहीं हो सकता है, तो वह भ्रम में हैं. भ्रम दूर करने के लिए कभी किसी लाउडस्पीकर या डीजे वाले समूह से यह कह करके देख लें कि साउंड थोड़ा कम कर दें, उन्हें भी यही जवाब मिलेगा कि क्या हम “अपने देश” में तेज आवाज में बाजा भी नहीं बजा सकते. मतलब किसी ऐसे काम के लिए रोकना, जिससे किसी दूसरे को परेशानी हो रही हो, तुरंत वह देश का मामला बना दिया जाएगा. फिर दूसरे ही पल आप देशद्रोही हो जायेंगे.