Koderma : ट्रेन से हो रही थी कछुआ तस्करी. इसी दौरान रविवार को आरपीएफ की टीम ने कार्रवाई करते हुए कोडरमा स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या तीन से दो बोरा व दो झोले में करीब 100 से अधिक कछुआ बरामद किया है. आरपीएफ की टीम ने सभी कछुआ को जब्त कर मामले की छानबीन में जुटी हुई है. हालांकि इस दौरान किसी लोगों की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
आरपीएफ स्टेशन पर लगे सीसीटीवी की फुटेज के आधार पर तस्करों की पहचान करने की तैयारी कर रही है. बताया जा रहा है कि यह कछुआ पश्चिम बंगाल भेजा जा रहा था. हालांकि इससे पहले इसे जब्त कर लिया गया.
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इस तरह से होती है तस्करी
इन कछुओं को पश्चिम बंगाल ले जाकर वहां से अवैध तरीके से बांग्लादेश पहुंचाया जाता है. इसके बाद ये कछुए चीन, हांगकांग, मलेशिया, थाईलैंड आदि देशों में सप्लाई किए जाते हैं. इन देशों में कछुए का मांस, सूप और चिप्स काफी पसंद किया जाता है. साथ ही इसके कवच से यौनवर्धक दवाएं और ड्रग्स बनाई जाती है.
कछुओं के खोल से तरह-तरह का सजावटी सामान, आभूषण, चश्मों के फ्रेम आदि भी बनाए जा रहे हैं. इंडियन स्टार टॉर्ट्स को तस्करी कर भारत से अमेरिका के फ्लोरिडा या नेवादा या यूके के हैंपशायर तक भेजा जाता है. सी-कुकुंबर को म्यांमार भेजा जाता है और भारतीय तोते को ऑस्ट्रेलिया तक तस्करी कर भेजा जाता है. बैंकॉक पालतू जीव-जंतूओं के लिए सबसे बड़ा बाजार है.
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ढाबों से लेकर फाइव स्टार होटलों में परोसा जाता है कछुआ
बंगाल खासकर कोलकाता के होटलों में कछुओं की जबर्दस्त मांग है. छोटे ढाबों से लेकर फाइव स्टार होटल तक कछुआ के लजीज डिस को ग्राहकों के थाली में परोसा जाता है. भारी मांग के कारण हावड़ा का मछली मंडी कछुआ तस्करी का हब बन चुका है. मछली कारोबारी ही कछुओं को काट कर मांस की आपूर्ति ऊंचे कीमतों पर होटलों में करते हैं.
कछुआ के ऊपरी सतह (झिल्ली) से शक्तिवर्द्धक दवाएं बनती हैं. जिंदा कछुआ आठ सौ से लेकर एक हजार रुपए तक बिकता है. जबकि इसकी झिल्लियों की कीमत पांच हजार रुपए प्रति किलोग्राम आंकी गई है.
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