Ranchi / Chaibasa : राज्य में पिछले 20 दिनों में झारखंड जगुआर के दो जवानों की मौत ब्रेन मलेरिया से हो गयी है. चाईबासा में पदस्थापित एक जवान की ब्रेन मलेरिया से मंगलवार की मौत हो गई. हवलदार गोपाल कुमार तामांग जैप वन के जवान थे और वर्तमान में झारखंड जगुआर में पदस्थापित थे. उनका इलाज हेल्थकेयर प्वाइंट अस्पताल रांची में चल रहा था. ये झारखंड जगुआर के असाल्ट ग्रुप 21 में पदस्थापित थे. मंगलवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. हवलदार गोपाल सादा तिमरा पिकेट, मनोहरपुर, चाईबासा में तैनात थे. जैप वन आवासीय परिसर में इनके परिवार के सदस्य रहते हैं. उनकी नियुक्ति 15 जुलाई 1996 में हुई थी. इससे पहले बीते 16 सितंबर को झारखंड जगुआर के एक जवान उपेंद्र कुमार की ब्रेन मलेरिया से मौत हो गई थी. जवान चाईबासा के मलेरिया प्रभावित आरापीड़ी में तैनात था. उनकी 16 सितंबर को मौत हो गयी थी. मौत के 10 दिन पहले ब्रेन मलेरिया की पुष्टि हुई थी. जिसके बाद उसे अग्रवाल नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था. जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी थी.
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13 सालों में 65 जवानों की मौत
झारखंड के जंगलों में नक्सलियों के खिलाफ जवान लगातार अभियान चला रहे हैं. लेकिन इन्हें नक्सलियों से ज्यादा मच्छर और सांप का डर है. जानकारी के अनुसार पिछले 13 साल के दौरान राज्य के अलग-अलग हिस्से में तैनात झारखंड जगुआर के 65 जवानों की मौत सांप-मच्छर और जंगली जानवरों ने ले ली है.
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बीमारी से मौत के मामले में शहीद का दर्जा नहीं मिलता
जानकारी के अनुसार झारखंड पुलिस के जवानों की बीमारी से मौत के मामले में शहीद का दर्जा नहीं मिलता है. इसके अलावा नक्सल अभियान से संबंधित कोई भी विशेष भत्ता नहीं मिलता है. सिर्फ परिजन को अनुकंपा पर नौकरी मिल जाती है, जबकि नक्सलियों से मुठभेड़ में शहीद होने पर अनुकंपा पर नौकरी, शेष सर्विस के वेतन की एकमुश्त राशि के अलावा अन्य कई सुविधाएं शहीद के आश्रित को मिलती हैं.
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