NewDelhi : यूक्रेन में चल रही भीषण जंग के बीच भारत की भूमिका अहम होने जा रही है. खबर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और रूसी राष्ट्र पति व्लातदिमीर पुतिन के चाणक्य कहे जाने वाले दो आलाधिकारी लगभग एक ही समय में भारत आ रहे हैं. कहा जाता है कि भारतीय मूल के अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह ने अमेरिका द्वारा रूस के खिलाफ लगाये गये प्रतिबंधों को अंतिम रूप देने में अहम भूमिका निभाई है.
उधर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव यूक्रेन जंग के दौरान पुतिन के साथ चट्टान की तरह जमे हुए हैं. विश्लेषकों की मानें तो इन दोनों चाणक्यों का एक ही समय में भारत आना महज संयोग नहीं है. इसे पर्दे के पीछे यूक्रेन की जंग खत्म करने के लिए चल रहे प्रयासों का हिस्सा करार दिया जा रहा है.
दलीप सिंह और लावरोव दोनों इसी सप्ताह भारत आ रहे हैं
जानकारी के अनुसार दलीप सिंह और लावरोव दोनों इसी सप्ताह भारत आ रहे हैं. भारतीय मूल के दलीप सिंह अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन के बहुत खास माने जाते हैं. सूत्रों के अनासर दलीप सिंह भारत को यूक्रेन के मसले पर अपना रुख बदलने के लिए मनाने आ रहे हैं. जान लें कि भारत ने अभी तक रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को लेकर तटस्थर रुख अपना रखा है.
रूसी विदेश मंत्री लावरोव चीन की यात्रा के बाद भारत आ रहे हैं. चीन में लावरोव अफगानिस्तान के मुद्दे पर आयोजित होने जा रही विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होंगे. वैसे लावरोव और दलीप सिंह क यात्रा के बारे में अभी आधिकारिक रूप से ऐलान नहीं किया गया है. माना जा रहा है कि लावरोव एक अप्रैल को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे. रूस चाहता है कि अमेरिकी प्रतिबंधों का असर भारत के साथ रक्षा और आर्थिक समझौतों पर न पड़े.
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अमेरिका और भारत के बीच रिश्तों में तनाव चल रहा है
बता दें कि यूक्रेन संकट को लेकर अमेरिका और भारत के बीच रिश्तों में तनाव चल रहा है.पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्र पति जो बाइडन ने कहा था कि संभवत: भारत को छोड़कर दुनिया ने पूरे यूरोप और प्रशांत क्षेत्र में यूक्रेन में रूसी आक्रामकता के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाया है.
यह भी कहा था कि भारत इस मुद्दे पर क्वॉ ड के साथ अस्थिर है. अमेरिका की राजनीतिक मामलों की अंडर सेक्रेटरी विक्टोररिया नूलैंड ने भी भारतीय वार्ताकारों के साथ यूक्रेन पर चर्चा की थी. नूलैंड ने कहा कि दुनिया के लोकतंत्रों को रूस और चीन जैसे तानाशाही शासन के खिलाफ एक साथ खड़ा होना चाहिए जो सुरक्षा के लिए खतरा बन गये हैं.
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भारत ने यूक्रेन में रूस के आक्रामक अभियान का विरोध करने से परहेज किया है
भारत ने अब तक यूक्रेन में रूस के आक्रामक अभियान का विरोध करने से परहेज किया है. भारत ने संयुक्ता राष्ट्रं में रूस के खिलाफ लाये गये मतदान में हिस्सा नहीं लिया था. भारत ने रूस के साथ आर्थिक सहयोग जारी रखा है और तेल का आयात कर रहा है. हालांकि भारत ने संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का हवाला देते हुए क्षेत्रीय एकता और देशों की संप्रभुता का सम्मान करने का आह्वान किया है. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति और रूसी राष्ट्रपति से कई बार बातचीत भी की है. माना जा रहा है कि भारत अमेरिकी दबाव के बाद भी अपने रुख पर कायम रह सकता है.