Nalanda: बिहार के नालंदा में अदालत ने अनोखा फैसला दिया है. इसमें जज ने आरोपी को सजा देने की बजाय बरी कर दिया और उसे साथ रहने की इजाजत दी. मामला प्रेम-प्रसंग से जुड़ा है. दो साल पहले इस किशोर ने 17 साल की लड़की को भगा कर उससे अंतरजातीय प्रेम विवाह था. इससे एक बच्ची पैदा हुई थी.
जज मानवेंद्र मिश्र ने बोर्ड के सदस्य उषा कुमारी और धर्मेंद्र कुमार के साथ मिलकर यह फैसला लिया कि अगर लड़के को सजा हो जाती है तो लड़की और उसकी 4 महीने की मासूम की जिंदगी खराब हो जायेगी. न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि हर अपराध के लिए सजा दिया जाना न्याय नहीं होगा. यह सही है कि किशोर ने नाबालिग लड़की को भगाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाये. इससे बच्ची पैदा हुई. लेकिन अब वह बच्ची 4 माह की हो चुकी है.
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थाने को दिया देखरेख का निर्देश
अदालत ने कहा कि बच्ची और उसकी मां को उसके परिजन स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में किशोर को दंडित करने से तीनों नाबालिगों का भविष्य अंधकारमय हो सकता है. जज ने अपने फैसले में संबंधित थाने को भी इसकी देखरेख करने का निर्देश दिया.
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अंतरजातीय प्रेम विवाह किया था
दरअसल, 2019 में इस किशोर ने नूरसराय की एक नाबालिग के साथ अंतरजातीय प्रेम विवाह किया था. इसके बाद लड़की के परिजनों ने लड़के पर शादी की नीयत से अपहरण करने की प्राथमिकी दर्ज कराई थी. बाद में लड़की ने कोर्ट में बयान दिया कि उसका अपहरण नहीं किया गया था. वह अपनी मर्जी से गई थी.
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कहा कि लड़की नाबालिग है. ऐसे में उसके इस बयान को कोर्ट नहीं मानती है. साथ ही फैसले में जज ने नूरसराय बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी को प्रत्येक छह माह पर 2 वर्षों तक इस किशोर की सुरक्षा और संरक्षण के संदर्भ में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया.
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जिला बाल संरक्षण को दिया निर्देश
साथ ही जिला बाल संरक्षण इकाई को निर्देश दिया कि इस परिवार की देखभाल की योजना बनाई जाय. स्वरोजगार अथवा स्किल डेवलपमेंट के लिए कोई कोर्स करवाना चाहें तो सरकार द्वारा चलाए जा रहे जन कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत उसे अवसर उपलब्ध कराने के लिए विधि प्रावधानों के अनुकूल सहयोग किया जाय.
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